ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत के एविएशन सेक्टर को नई उड़ान देने वाला ऐतिहासिक दिन दर्ज हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हैदराबाद में सफ्रान एयरक्राफ्ट इंजन सर्विसेज इंडिया (एसएईएसआई ) की विशाल एमआरओ सुविधा का शुभारंभ किया।
हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थित जीएमआर एयरोस्पेस एंड इंडस्ट्रियल पार्क-एसईजेडमें सफ्रान का विशाल रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) हब आधिकारिक रूप से शुरू हो गया है। यह महज एक एमआरओ सेंटर नहीं, बल्कि भारत को ग्लोबल एयरोस्पेस पावर बनाने की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का उभरता एविएशन सेक्टर एक नई उड़ान के लिए तैयार है और सफ्रान की यह फैसिलिटी भारत को ग्लोबल एमआरओ हब के रूप में स्थापित करने में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि हम निवेशकों को सिर्फ निवेशक नहीं, बल्कि भारत के विकास यात्रा के सह-निर्माता मानते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की घरेलू विमानन सेवाओं में बेमिसाल विस्तार हुआ है और देश अब दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एविएशन मार्केट्स में शामिल है। वर्तमान में भारत का घरेलू विमानन बाजार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन चुका है।
85% एमआरओ विदेश में पीएम मोदी ने बताया कि भारत के लगभग 85% एमआरओ कार्य अभी भी विदेशी देशों में होते थे, जिससे लागत बढ़ती थी और विमानों को लंबे समय तक ग्राउंडेड रहना पड़ता था लेकिन अब सरकार ने एमआरओ इकोसिस्टम मजबूत करने पर बड़ा फोकस किया है। जीएसटी में सुधार, 2021 की एमआरओ गाइडलाइंस और राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति 2016 जैसे फैसलों ने इस सेक्टर में नई ऊर्जा लाई है। सैफरान एयरक्राफ्ट इंजन सर्विसेज इंडिया की यह सुविधा 45,000 वर्गमीटर में फैली है और लगभग 1300 रुपये करोड़ की लागत से तैयार की गई है। यह दुनिया के सबसे बड़े इंजन एमआरओ सेंटर्स में से एक है और पहली बार कोई वैश्विक इंजन निर्माता भारत में ऐसा सेटअप लेकर आया है। यह हब हर साल 300 लीप इंजन की मरम्मत करने में सक्षम होगा। ये वही इंजन हैं जो एयरबस ए320 नियो और बोइंग 737 मैक्स जैसे लोकप्रिय विमानों को शक्ति देते हैं।
1000 से ज्यादा युवाओं को रोजगार
2035 तक यह सुविधा 1000 से ज्यादा स्थानीय इंजीनियरों और टेक्नीशियन को रोजगार देगी। हाई-टेक मशीनरी और एडवांस प्रक्रियाओं से लैस यह सेंटर न केवल भारत की मरम्मत क्षमता बढ़ाएगा बल्कि विदेशी मुद्रा की भारी बचत भी कराएगा।































