ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत एक ऐसे ऐतिहासिक क्षण के द्वार पर खड़ा है, जो केवल एक खेल उपलब्धि से कहीं बड़ा है। वर्ष 2030 में होने वाले ऐतिहासिक शताब्दी संस्करण के कॉमनवेल्थ गेम्स ऐसे समय में आयोजित होने जा रहे हैं, जब भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। हमारे शहर तीव्र गति से आधुनिक हो रहे हैं और वैश्विक मंच पर भारत का आत्मविश्वास लगातार सुदृढ़ हो रहा है। इन खेलों की मेजबानी केवल एक औपचारिक सम्मान नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक आर्थिक अवसर है। यह भारत को मात्र पांच वर्षों की संक्षिप्त अवधि में बुनियादी ढांचे के तीव्र विकास, शहरी परिवर्तन, पर्यटन विस्तार, रोजगार सुजन और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नई गति देने में सक्षम बनाएगा।
वैश्विक अनुभव यह दर्शाता है कि जब बड़े खेल आयोजन किसी देश के विकास चक्र के साथ सही तालमेल में होते हैं, तो वे बहुगुणकीय आर्थिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। भारत कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की ओर सिद्ध क्षमता और सफल आयोजन के आत्मविश्वास के साथ बढ़ रहा है।
खेल विकास तंत्र को मिलेगी मजबूती
कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 भारत के सखेल विकास पारिस्थितिकी तंत्र को भी नई मजबूती प्रदान करेगा। खेलो इंडिया, टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम, टैलेंट आइडेंटिफिकेशन जैसी योजनाओं तथा भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से खेल विज्ञान, उच्वस्तरीय कोचिंग, खिलाड़ी सहयोग प्रणालियों, चिकित्सा देखभाल और अंतरराष्ट्रीय अनुभव में निवेश और अधिक सुदृढ़ होगा। इस दृष्टि से ये खेल न केवल भारतीय खेल प्रतिभा का प्रदर्शन होंगे, बल्कि देश के दीर्घकालिक हाई परफॉर्मेंस खेल तंत्र का एक सशक्त स्तंभ भी बनेंगे। कॉमनवेल्थ गेम्स राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा, शहरी अवसर और संस्थागत क्षमता का दुर्लभ संगम है। इसके माध्यम से यह दिखाने का अवसर है कि भारत सर्वोच्च वैश्विक मानकों के अनुरूप मेगा इवेंट का आयोजन करते हुए जनता के लिए ठोस सार्वजनिक मूल्य भी सृजित कर सकता है। यह भारत के बढ़ते आर्थिक आत्मविश्वास और प्रशासनिक सामर्थ्य को विश्व के सामने प्रस्तुत करने का सशक्त मंच है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह अगले दशक के दौरान भारत के विकास को और मजबूत करने का मार्ग है।
2030 के खेलों की मेजबानी करने वाला अहमदाबाद शहर उसी शहरी गति का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे ऐसे भव्य आयोजन और अधिक सशक्त बना सकते हैं। पहले से मौजूद विश्वस्तरीय खेल अवसंरचना, बढ़ती मेट्रो कनेक्टिविटी, सुदृद्ध होते सड़क नेटवर्क और विकसित होता आतिथ्य व सम्मेलन पारिस्थितिकी तंत्र, ये सभी शहर को इस जिससे खेलों के बाद भी नागरिकों को दीर्घकालिक लाभ मिलता रहेगा।































