ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से छात्र पहुंच रहे हैं, जिस वजह से यहां पर विदेशी स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। सरकार इस पर लगाम लगाना चाहती है, इसलिए अब वीजा प्रक्रिया में बदलाव लाया जा रहा है। सरकार अब वीजा प्रोसेसिंग के लिए अलग-अलग स्पीड लागू करने की तैयारी में है। मौजूदा सरकार देश में होने वाले चुनाव से पहले प्रवासियों की संख्या कम करना चाहती है, ताकि उसे लोगों का समर्थन हासिल हो सके।
ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री ने बताया कि टिकाऊ तरीके से काम करने वाली यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों के वीजा एप्लिकेशन को प्रोसेसिंग में प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार की तरफ से स्टूडेंट वीजा को लेकर ये एलान किया गया है। इस तरह कुछ छात्रों को तो मौजूदा नियमों की वजह से स्टूडेंट वीजा जल्दी मिल जाएगा, लेकिन कुछ छात्र ऐसे होंगे, जिनके लिए अब वीजा पाना मुश्किल होने वाला है।
क्या है स्टूडेंट वीजा को लेकर नया नियम
नए नियमों के तहत वीजा प्रोसेसिंग की दो कैटेगरी होंगी, जिसमें पहला हाई प्रायोरिटी यानी उच्च प्राथमिकता और दूसरा स्टैंडर्ड। ऑस्ट्रेलिया में हर यूनिवर्सिटी को एक सीमित संख्या में विदेशी छात्रों को एडमिशन देने की इजाजत है। ऐसे में जब किसी यूनिवर्सिटीज का विदेशी छात्रों को एडमिशन के लिए सेट किया गया कोटा 80% पूरा हो जाएगा, तो उस संस्थान में अप्लाई करने वाले बाकी के छात्रों के वीजा आवेदन की प्रोसेसिंग स्पीड कम हो जाएगी। छात्रों की संख्या की लिमिट कानून के तहत तय की गई थी।
क्यों लाया गया नया नियम
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज में विदेशी छात्रों की संख्या सीमित करने के लिए संसद में विधेयक लाया गया था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद अब मौजूदा सरकार इस विधेयक के विकल्प के तौर पर नया नियम लेकर आई है। विपक्ष ने विधेयक के खिलाफ मतदान किया था, लेकिन उसका कहना है कि वह भी चाहता है कि छात्रों की संख्या सीमित ही रहे। ऑस्ट्रेलिया में 17 मई तक चुनाव होने हैं। ओपिनियन पोल के मुताबिक, लेबर सरकार और लिबरल-नेशनल विपक्ष के बीच कड़ा मुकाबला है।