ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को युक्तिसंगत बनाने के लिए राज्यों के मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने 12 और 28 फीसदी के स्लैब खत्म करने की मंजूरी दे दी। जीओएम ने जीएसटी के सिर्फ दो स्लैब पांच और 18 फीसदी रखने के केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। विलासिता की वस्तुएं 40 फीसदी कर दायरे में आएंगी। अब मामले को जीएसटी परिषद की अगली बैठक में रखा जाएगा, जो इस पर अंतिम फैसला करेगी।
जिन 99 फीसदी वस्तुओं पर पहले 12 फीसदी कर लगता था, वे सभी अब 5 फीसदी वाले स्लैब में आ जाएंगी। इसी तरह, 28 फीसदी स्लैब वाली 90 फीसदी वस्तुएं 10 फीसदी सस्ती हो जाएंगी। जीएसटी में इस बदलाव से मध्य वर्ग, किसानों और एमएसएमई को बड़ी राहत मिलेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मंत्री समूह की बैठक के बाद जीओएम के संयोजक सम्राट चौधरी ने बताया कि हमने चर्चा के बाद केंद्र सरकार के प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है। केंद्र ने पांच-सात चुनिंदा वस्तुओं पर 40 फीसदी कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा है। जीओएम के कुछ सदस्य चाहते हैं कि महंगी कारों जैसे अल्ट्रा लग्जरी (विलासिता) उत्पादों पर 40 फीसदी के अतिरिक्त भी कर लगाया जाए। उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, केंद्र का प्रस्ताव आम आदमी के हित में है, इसलिए सभी राज्यों ने स्वागत किया है। अल्ट्रा लग्जरी और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुएं 40 फीसदी के दायरे में आएंगी। प. बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने भी 40 फीसदी दर के ऊपर अतिरिक्त कर का प्रस्ताव रखा।
अभी जीएसटी में चार स्लैब 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी हैं। खाद्य पदार्थों पर या तो शून्य या पांच फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि विलासिता व अहितकर वस्तुओं पर 28 फीसदी कर लगता है।
बढ़ेगी खपत
जीएसटी के दो स्लैब होने से न सिर्फ रोजमर्रा एवं अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतें घटेंगी, बल्कि मांग और खपत को बढ़ावा मिलेगा। राजस्व नुकसान व भरपाई को लेकर चिंता जीओएम की बैठक में जीएसटी 2.0 से राजस्व नुकसान, गणना एवं भरपाई पर चिंता जताई गई। प. बंगाल की वित्त मंत्री ने कहा, केंद्र के प्रस्ताव में स्लैब बदलाव से होने वाला राजस्व नुकसान शामिल नहीं है, क्योंकि राज्य को नुकसान का खामियाजा भी आम आदमी को ही भुगतना होगा। तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कहा, राज्यों के राजस्व की सुरक्षा तय करते हुए दरें तर्कसंगत बनानी चाहिए, अन्यथा गरीब, मध्य वर्ग और बुनियादी परियोजनाओं के साथ कल्याणकारी योजनाओं को नुकसान होगा।
नमकीन, टूथपेस्ट, साबुन, दवाओं के घटेंगे दाम
12 फीसदी जीएसटी वाली 99 फीसदी वस्तुओं के पांच फीसदी के दायरे में आने से सूखे मेवे, ब्रांडेड नमकीन, टूथ पाउडर, टूथपेस्ट, साबुन, हेयर ऑयल, सामान्य एंटीबायोटिक्स, दर्द निवारक दवाएं, प्रोसेस्ड फूड, स्नैक्स, फ्रोजन सब्जियां, कंडेंस्ड दूध, कुछ मोबाइल, कंप्यूटर, सिलाई मशीन, प्रेशर कुकर, गोजर जैसी चीजें सस्ती हो जाएंगी।
इलेक्ट्रक आयरन, वैक्यूम क्लीनर, 1,000 रुपये से अधिक के रेडीमेड कपड़े, 500 से 1,000 रुपये तक वाले जूते, वैक्सीन, एचआईवी टीबी डायग्नोस्टिक किट, साइकिल, बर्तन पर भी टैक्स कम लगेगा। ज्योमेट्री बॉक्स, नक्शे, ग्लोब, ग्लेज्ड टाइल्स, प्री-फैब्रिकेटेड बिल्डिंग, वेडिंग मशीन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहन, कृषि मशीनरी, सोलर बॉटर हीटर जैसे उत्पाद भी पर भी 5% टैक्स हो जाएगा।
इन पर 28% से घटकर
18% टैक्स लगेगा
सीमेंट, ब्यूटी प्रोडक्ट, चॉकलेट, रेडी-मिक्स कंक्रीट, टीची, फिज, वॉशिंग मशीन, एसी, डिशवॉशर, निजी विमान, प्रोटीन कन्सेंट्रेट, चीनी सिरप, कॉफी कन्संट्रेट, प्लास्टिक प्रोडक्ट, रबर टायर, एल्युमिनियम फॉयल, टेम्पर्ड ग्लास, प्रिंटर, रेजर, मैनिक्योर किट।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने रिपोर्ट में कहा, जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से 1.98 लाख करोड़ रुपये बाजार में आएंगे। हालांकि, इससे सरकार को हर वित्त वर्ष में 85,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो सकता है।