ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका के 15 सांसद मसीहा बनकर आए हैं। इस वक्त भारतीयों को स्टूडेंट वीजा पाने में सबसे ज्यादा दिक्क त का सामना करना पड़ रहा है। सांसदों ने इस परेशानी को समझा है और उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है। इसमें मंत्रालय से वीजा अपॉइंटमेंट में होने वाली देरी को दूर करने का आग्रह किया गया है। अप्वाइंटमेंट के बाद ही वीजा जारी होता है और देरी की वजह से भारतीय छात्र समय पर अमेरिकी कॉलेज नहीं पहुंच पा रहे हैं
चिट्ठी में सांसदों ने भारत में मौजूद अमेरिकी दूतावासों में सीमित अप्वाइंटमेंट को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने मंत्रालय से तत्काल इस मामले को सुलझाने की अपील की है, ताकि भारतीय छात्र बिना किसी परेशानी के अपनी पढ़ाई शुरू कर पाएं। सांसदों ने कहा कि उनके क्षेत्रों में स्थित यूनिवर्सिटीज ने उन्हें बताया कि उनके यहां भारतीय छात्र समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, क्योंकि वीजा नहीं मिल रहा है। इसके बाद ही सांसदों की तरफ से विदेश मंत्री मार्को रुबियो को संबोधित करते हुए चिट्ठी लिखी गई है।
अमेरिका में रिसर्च-इनोवेशन में
भारतीयों की भूमिका अहम
अमेरिका में विदेशी छात्रों की आबादी का सबसे बड़ा समूह भारतीयों का है। वे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हर साल लगभग 9 अरब डॉलर (लगभग 77,787 करोड़ रुपये) का योगदान देते हैं। सांसदों ने अपनी चिट्ठी में ये भी लिखा कि भारतीय छात्र अमेरिकी संस्थानों में साइंटिफिक रिसर्च और इनोवेशन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चिट्ठी में कहा गया, हम इस संभावना से निराश हैं कि इनमें से कई प्रतिभाशाली युवाओं को सीमित अप्वाइंटमेंट स्लॉट और भारत में अमेरिकी दूतावासों में शेड्यूलिंग डिले की वजह से अमेरिका में अपनी रिसर्च और पढ़ाई जारी करने से रोका जा सकता है।
सांसदों ने कहा कि रिसर्च यूनिवर्सिटीज हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो बुनियादी रिसर्च और अत्याधुनिक आविष्कारों में योगदान करती हैं। चिट्ठी में कहा गया है कि भारतीय छात्र पढ़ाई के हर क्षेत्र में इस काम में भाग लेते हैं।



























