ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इस समय पूरी दुनिया में विवाह संस्था को लेकर तमाम तरह के अध्ययन चल रहे हैं। मकाऊ पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी में लगभग एक लाख लोगों पर हुए एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अविवाहित लोगों में अवसाद होने की गुंजाइश अस्सी प्रतिशत अधिक होती है।
इस अध्ययन में अमेरिका, ब्रिटेन, आयरलैंड, मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, चीन और इंडोनेशिया के लोग शामिल थे। अध्ययन में यह बात सामने आई कि अठारह साल की उम्र से अधिक के 80 प्रतिशत अविवाहित लोग तनाव या अवसाद की समस्या से पीड़ित हैं, जबकि विवाहित व्यक्तियों में यह प्रतिशत 40 से कम रहा। तलाकशुदा या अपने जीवनसाथी से अलग रहने वालों में भी कई तरह की मानसिक दिक्क तें देखी गईं। इस अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों का मानना है कि अधिकांश विवाहित लोगों का एक सपोर्ट सिस्टम होता है। यही नहीं, आर्थिक तौर पर भी वे अधिक सबल होते हैं। इस अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ कि उच्च शिक्षित अविवाहित मर्द भी भावनात्मक असुरक्षा के शिकार होते हैं। इस अध्ययन में शामिल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बेल्ला डी पाउलो कहती हैं, ‘यह माना जाता है कि विवाह स्त्री-पुरुष को स्थायित्व देता है पर, इस अध्ययन में हमने पाया कि लंबे समय तक विवाहित दंपतियों की सेहत भी अविवाहितों के मुकाबले बेहतर रहती है। अकेला व्यक्ति एक समय के बाद अपने आप पर दया करने लगता है।