ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इंडियन नेवी को अपग्रेड करने पर भारत हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। एयरक्राफ्ट करियर से लेकर स्टील्थ फ्रिगेट और सबमरीन तक के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। मॉडर्न वॉरफेयर में एयरफोर्स के साथ ही नेवी की भूमिका सबसे ज्यादा अहम है। चीन और पाकिस्तान लगातार भारत को घेरने का प्रयास कर रहे हैं, ऐसे में नई दिल्ली के लिए समंदर में अपनी ताकत को बढ़ाना जरूरी हो गया है। यही वजह है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ ) नेवी की पनडुब्बियों के लिए के-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल डेवलप कर रहा है। जल्द ही इसकी टेस्टिंग करने की तैयारी है।
अब किर्वाक-III क्लास के दो एडवांस फ्रिगेट को गोवा शिपयार्ड में डेवलप किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट पर कुल मिलाकर ₹21000 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। इसके साथ ही सबमरीन यानी पनडुब्बी प्रोजेक्ट पर भी हजारों करोड़ रुपये निवेश किया जा रहा है।
अल्ट्रा मॉडर्न मिसाइल सिस्टम
इसी क्रम में डीआरडीओ अरिहंत क्लास की पनडुब्बी को अल्ट्रा मॉडर्न मिसाइल सिस्टम से लैस करने की तैयारी कर रहा है। इस दिशा में पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से अनवरत काम चल रहा है। अब उसका असर दिखने लगा है। दरअसल डीआरडीओ के-6 क्लास का हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल डेवलप करने में जुटा है। के-6 सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) है। इसमें ऐसी कई खासियत हैं जो इसे ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से भी ज्यादा खतरनाक और घातक बनाती हैं।
ताकतवरों की श्रेणी
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के साथ ही भारत दुनिया की अन्य ताकतों जैसे अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन जैसे देशों की श्रेणी में आ जाएगा। के-6 हाइपरसोनिक मिसाइल कन्वेंशनल यानी पारंपरिक के साथ ही न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में भी कैपेबल होगा।
के-6 की रफ्तार बड़ी ताकत
‘इंडियन डिफेंस रिसर्च विंग’ ने ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल प्रोजेक्ट से जुड़े एक पूर्व साइंटिस्ट के हवाले से के-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल को लेकर बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ के-6 एसएलबीएम को डेवलप करने में जुटा है। उनकी मानें तो इसे समंदर के अंदर से पनडुब्बी से दुश्मनों के खिलाफ लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल 7.5 मैक यानी तकरीबन 9261 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से टारगेट की ओर मूव कर सकती है। के-6 क्लास की बैलिस्टिक मिसाइल की रफ्तार इतनी ज्यादा है कि दुश्मनों को संभलने तक मौका नहीं मिलेगा। पाकिस्तान की गर्दन की नस और इकोनोमी की रीढ़ कहा जाने वाला कराची अरब सागर तट पर स्थित है। प्रतिकूल हालात में भारत एक ही झटके में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ को तोड़ सकता है।































