Site icon World's first weekly chronicle of development news

कानपुर-उन्नाव को जोड़ने के लिए फिर गंगा नदी पर बनेगा पीपा पुल

A pontoon bridge will be built over the Ganga River to connect Kanpur and Unnao.
ब्लिट्ज ब्यूरो

कानपुर। गंगा की धारा पर एक बार फिर इतिहास तैरने को तैयार है। आधुनिक पुलों और कंक्रीट के युग में कानपुर–उन्नाव को जोड़ने के लिए पीपा पुल का निर्णय सिर्फ एक अस्थायी व्यवस्था नहीं, बल्कि दो सौ साल पुराने उस दौर की वापसी है, जब गंगा पार करना साहस, कौशल और कर–व्यवस्था से जुड़ा होता था। पुराने गंगा पुल के बंद होने और नए पुल के निर्माण में दो साल का वक्त लगने की स्थिति में शासन ने जिस समाधान को चुना है, वह सीधे अतीत के पन्नों से निकलकर आज की जरूरत बन गया है। लोक निर्माण विभाग इसी जरूरत को देखते हुए साढ़े पांच सौ मीटर तक लंबे पीपा पुल का निर्माण करेगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है।
उन्नाव के शुक्लागंज से पुराने गंगा पुल के पास लगभग साढ़े पांच सौ मीटर लंबे पुल निर्माण के लिए 120 पीपे प्रयागराज से लाए जाएंगे। शासन ने निर्माण और पीपा मंगाने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का बजट भी जारी कर दिया है। लोक निर्माण विभाग तकनीकी तैयारी में जुट गया है। इसके लिए नए सिरे से टेंडर जारी होंगे। वहीं दो माह में पुल निर्माण को लगभग फाइनल करने की तैयारी चल रही है। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों का कहना है कि बीते 10 वर्षों में पीपा पुल निर्माण नहीं किया गया है। पहले बिठूर में हर साल पीपा पुल बनता था, लेकिन वहां स्थायी पुल बनने के बाद यह कार्य खत्म हो गई।
120 पीपे ट्रालों में लाकर उतारे जाएंगे
कानपुर-उन्नाव को जोड़ने के लिए प्रयागराज से 120 पीपे ट्रालों में लाकर गंगा पर उतारे जाएंगे। इन्हीं पीपों पर तैरता हुआ पुल तैयार होगा। दिलचस्प यह है कि पुल बनाने से ज्यादा खर्च पीपों को मंगाने में आएगा। यही कारण है कि इंजीनियर भी इसे चुनौती मान रहे हैं। जनप्रतिनिधियों की मांग पर सीधे मुख्यमंत्री स्तर से स्वीकृति मिलने के बाद पीडब्ल्यूडी को यह जिम्मेदारी मिली है। गंगा पर तैरता यह पीपा पुल सिर्फ वाहनों को नहीं ढोएगा, बल्कि उस विरासत को भी जीवित करेगा, जब नदी पर चलना भी एक अनुभव हुआ करता था। आधुनिक शहर में इतिहास की यह वापसी आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाएगी कि विकास की रफ्तार चाहे जितनी तेज हो, कई बार समाधान अतीत की राह से होकर ही निकलता है।
इतिहास की झलक
वहीं इस फैसले ने शहर को उसके भूले–बिसरे इतिहास से फिर जोड़ दिया है। इतिहासकार अनूप कुमार शुक्ल बताते हैं कि वर्ष 1802 में जिला बनने के बाद उन्नाव से संपर्क पीपा पुल के जरिए ही स्थापित किया गया था। उस समय परमट घाट से उन्नाव तक बना पीपा पुल गंगा के दोनों किनारों को जोड़ने वाली जीवनरेखा था। यह सिर्फ आवागमन का साधन नहीं, बल्कि राजस्व का बड़ा जरिया भी था। ऊंट, घोड़े और गाड़ियों के लिए अलग–अलग कर वसूला जाता था। व्यापारियों की कतारें, यात्रियों की आवाजाही और कर वसूलने वालों की पुकारें पीपा पुल उस समय की जीवंत तस्वीर होती थी। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ही स्थायी पुलों का दौर शुरू हुआ। पुराने गंगा पुल के बनने के बाद पीपा पुल को जाजमऊ क्षेत्र में उन्नाव से जोड़ने के लिए स्थापित किया गया। धीरे–धीरे जब पक्के पुलों ने जगह ली, तो पीपा पुल इतिहास की किताबों और बुजुर्गों की स्मृतियों तक सिमट गया। पहले यह मजबूरी नहीं, बल्कि तकनीक की सीमा थी, और आज यह मजबूरी आधुनिक निर्माण की समय–सीमा है।
शासन ने डेढ़ करोड़ का बजट उपलब्ध करा दिया
उन्नाव के शुक्लागंज से पुराने गंगा पुल से सौ मीटर की दूरी पर पीपा पुल का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए शासन ने डेढ़ करोड़ रुपये का बजट उपलब्ध करा दिया है। पुल निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नए पुल निर्माण तक लोगों के आवागमन की सुविधा के लिए पीपा पुल का निर्माण किया जा रहा है।
अनूप कुमार मिश्र, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग

Exit mobile version