आस्था भट्टाचार्य
पणजी। ‘गोवा शिपयार्ड लिमिटेड’ (जीएसएल) ने भारतीय तटरक्षक बल के लिए तीव्र गति के दो स्वदेशी गश्ती पोत (एफपीवी) का जलावतरण किया। इनका इस्तेमाल अपतटीय परिसंपत्तियों और द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा एवं निगरानी के लिए किया जाएगा।
भारतीय तटरक्षक महानिदेशक (डीजी) परमेश शिवमणि की पत्नी प्रिया परमेश ने अथर्ववेद के श्लोकों के उच्चारण के बीच ‘अदम्य’ और ‘अक्षर’ पोतों का औपचारिक जलावतरण किया। 52 मीटर लंबाई और आठ मीटर चौड़ाई वाले ये पोत अपतटीय परिसंपत्तियों, द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा तथा निगरानी कार्य करने के अनुकूल हैं। जीएसएल भारतीय तटरक्षक बल के लिए आठ एफपीवी के बेड़े का निर्माण कर रहा है, जो रक्षा उत्पादन में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने में शिपयार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। विज्ञप्ति में बताया गया कि जीएसएल ने ये अत्याधुनिक स्वदेशी गश्ती पोत तटरक्षक बल की विशिष्ट परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वयं डिजाइन किए हैं। महानिदेशक परमेश शिवमणि ने भारतीय तटरक्षक बल और जीएसएल के बीच स्थायी सहयोग की सराहना की।
स्वदेशी सामग्री से ‘आत्मनिर्भर भारत’ हो रहा कारगर
जीएसएल ने विज्ञप्ति में बताया कि जलावतरण जीएसएल की जरूरत के अनुसार ढलने की क्षमता और प्रतिभा को दर्शाता है, जिसे भारतीय उद्योग के साथ घनिष्ठ सहयोग से किया गया है। इन पोतों की स्वदेशी सामग्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को गौरवपूर्ण तरीके से दर्शाती है। जीएसएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ब्रजेश कुमार उपाध्याय ने शिपयार्ड के प्रभावशाली विकास पथ पर प्रकाश डाला। ‘अदम्य’ और ‘अक्षर’ की आधारशिला 25 अगस्त, 2023 को रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने रखी थी।
52 मीटर लंबाई और आठ मीटर चौड़ाई है
•दोनों स्वदेशी गश्ती पोत हैं। द्वीपीय क्षेत्रों की सुरक्षा तथा निगरानी के अनुकूल
•दोनों गश्ती पोत को जीएसएल ने किया डिजाइन
•एक साल से चल रहा था निर्माण