ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने स्वास्थ्य देखभाल में आमूलचूल बदलाव लाने की रूपरेखा पेश की। उन्होंने कहा कि देश में कृत्रिम मेधा (एआई) पर केंद्रित एक किफायती, विश्व-स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल परिवेश तैयार करने की योजना है।
अडाणी ने यहां ‘सोसाइटी फॉर मिनिमली इन्वेजिव स्पाइन सर्जरी एशिया प्रशांत’ के पांचवें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को नया स्वरूप देने की जरूरत है। विविध कारोबारों में सक्रिय समूह के प्रमुख ने कहा कि तीन साल पहले उनके 60वें जन्मदिन पर उनके परिवार ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कौशल विकास के लिए 60,000 करोड़ रुपये देने का संकल्प लिया था। अडाणी ने कहा, ‘हमने स्वास्थ्य सेवा में इसलिए कदम रखा क्योंकि इसकी रफ्तार पर्याप्त नहीं थी।’
उन्होंने कहा, ‘बदलाव की रफ्तार तात्कालिकता के साथ भविष्य की मांगों का तालमेल नहीं बिठा पा रही थी। जल्द ही यह सच सामने आया कि स्वास्थ्य सेवा को क्रमिक सुधार की नहीं, बल्कि समूची प्रणाली को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। विकास की नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता और सहानुभूति में निहित एक क्रांति की जरूरत है।’ अडाणी ने पहले घोषित किए जा चुके ‘अडाणी हेल्थकेयर मंदिरों’ का जिक्र करते हुए कहा कि अहमदाबाद और मुंबई में स्थापित होने वाले 1,000 बिस्तरों वाले ये एकीकृत चिकित्सा परिसर ‘विश्व स्तरीय, किफायती, एआई-प्रधान स्वास्थ्य सेवा परिवेश’ होंगे। यहां पर ऐसी अवसंरचना होगी कि महामारी या आपात स्थिति में तेजी से उसका विस्तार किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि ये परिसर क्लिनिकल देखभाल, अनुसंधान और अकादमिक प्रशिक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में काम करेंगे, जो मेयो क्लिनिक की वैश्विक विशेषज्ञता से निर्देशित होंगे। अडाणी ने भविष्य के लिए तैयार स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पांच मुख्य सिद्धांतों पर आधारित बनाने का दृष्टिकोण पेश किया।































