संजय द्विवेदी
कानपुर। प्रदेश के कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हैलट अस्पताल में प्रदेश का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) वार्ड बनाया जाएगा। यहां मरीजों की हालत की मॉनिटरिंग एआई के जरिए की जाएगी। यदि मरीज की जरा भी हालत बिगड़ी तो डॉक्टर के पास इसका मैसेज पहुंच जाएगा। वहीं, नर्स रूम में इसका अलार्म बजने लगेगा जिससे मरीज को फौरन इमरजेंसी इलाज मिलने लगेगा। एआई के जरिए समय रहते मरीज की जान बचाई जा सकती है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंसर मरीज की हर एक गतिविधि पर नजर रखेगा। मरीज के अंदरूनी सभी अंगों की बराबर मॉनिटरिंग होती रहेगी। शरीर के अंदर होने वाले उतार-चढ़ाव की पल-पल की खबर एआई को रहेगी। एआई सिस्टम मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया गया है। इस तरह का सिस्टम बनाने वाली एआई कंपनी का प्रस्ताव जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया है।
सीआईपी पेरू के महानिदेशक डॉ. सिमोन हेक के नेतृत्व में सीएम से मिला प्रतिनिधिमंडल प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय कृषि हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा सीआईपी : योगी सीएसएआरसी से बढ़ेगी किसानों की आय, यूपी बनेगा दक्षिण एशिया का आलू इनोवेशन हब: डॉ. सिमोन हेक
एक बेड पर पांच लाख का खर्च
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला के अनुसार एआई सिस्टम वार्ड तीन और चार में लगाए जाने की योजना है। प्रथम चरण में वार्ड तीन में 20 बेड़ों पर एआई सिस्टम लगाया जाएगा। इसमें सफलता मिलने के बाद दोनों वार्डों को एआई सिस्टम से सुसज्जित कर दिया जाएगा। एक बेड में एआई सिस्टम लगाने में पांच लाख रुपये का खर्च आएगा। इसे सीएसआर फंड से लगाने पर विचार किया जा रहा है।
इंटेंसिव केयर यूनियन शिफ्ट
राजकीय मेडिकल में यह पहला अस्पताल होगा जिसमें एआई सिस्टम लगेगा। डॉ. संजय काला ने बताया कि अधिकांश मरीजों की हालत रात 12 बजे से सुबह छह बजे के बीच बिगड़ती है। हालत बिगड़ने पर उन्हें इंटेसिव केयर यूनिट में शिफ्ट करना होता है। रात के समय मरीजों के मेटाबोलिज्म में उतार-चढ़ाव का असर होता है। मरीज के तीमारदार और अस्पताल का स्टाफ नींद की हालत में होता है।
इस स्थिति में एआई सिस्टम कारगर साबित होगा। इसके लिए वार्ड तीन और चार को सुसज्जित किया जा रहा है। चार से पांच महीने में वार्ड के सुंदरीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा। वार्ड के नर्स स्टाफ कक्ष में कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। यहां लगे मॉनिटर पर मरीजों की स्थिति की जानकारी आती रहेगी। मरीजों के बेड के नीचे मेट्रस लगाया जाएगा। इस मेट्रस में सेंसर लगे होंगे। मरीजों के हृदय की धड़कन, ब्लड प्रेशर, ऑक्सीजन सिक्युरेशन लेवल समेत शरीर के सभी अंगों की जानकारी मिलती रहेगी। यदि मरीज को बीपी समेत कोई अन्य दिक्क त हुई तो सेंसर एक्टिव होकर मैसेज भेजना शुरू कर देगा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कृषि नवाचार को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदृष्टि और दृढ़ इच्छाशक्ति अब साकार होती दिख रही है। आलू और शकरकंद जैसी कंद फसलों पर विश्वस्तरीय अनुसंधान के लिए अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (सीएसएआरसी) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सीआईपी, पेरू के महानिदेशक डॉ. सिमोन हेक के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और परियोजना की प्रगति पर चर्चा की।
प्रतिनिधिमंडल में सीआईपी के कंट्री मैनेजर नीरज शर्मा, रमन अब्रोल, वरिष्ठ सलाहकार, दक्षिण एशिया और आईआरआरआई (आईआरआरआई) के साउथ एशिया प्रमुख सुधांशु सिंह शामिल थे। मुख्यमंत्री योगी ने इस अवसर पर कहा कि जब तक आगरा के सिंगना गांव में केंद्र का निर्माण पूर्ण नहीं होता, तब तक प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किसानों को सीआईपी की तकनीकों से प्रशिक्षित किया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि आलू के साथ अन्य कंद फसलों की प्रजातियों पर भी अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाए, ताकि उत्पादन बढ़े और निर्यात के अवसर खुलें।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि यह केंद्र प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने, प्रोसेसिंग उद्योग को सशक्त करने और प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय कृषि हब बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उत्तर प्रदेश; देश का सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है। वर्ष 2024-25 में 6.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 244 लाख मीट्रिक टन आलू का उत्पादन हुआ। देश के कुल आलू उत्पादन में 35% हिस्सा यूपी का है। अकेले आगरा जनपद में 76 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। यूपी में आलू का लगभग 40% उत्पादन अन्य राज्यों में विपणन के लिए जाता है। इतनी बड़ी उत्पादन क्षमता के बावजूद गुणवत्तायुक्त बीजों और प्रोसेसिंग योग्य किस्मों की कमी महसूस की जा रही थी। अब सीएसएआरसी इस चुनौती को दूर करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में जून में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में इस केंद्र की स्थापना के लिए 111.50 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी। यह केंद्र बीज नवाचार, एपीकल रूटेड कटिंग, जर्मप्लाज्म संरक्षण और वैल्यू चेन विस्तार का वैश्विक मॉडल बनेगा। सीएसएआरसी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और निजी कंपनियों के साथ साझेदारी कर किसानों को विश्वस्तरीय तकनीक और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा।
सीआईपी की स्थापना 1971 में पेरू में हुई थी और आज यह 20 से अधिक देशों में अनुसंधान कार्य कर रहा है। भारत में सीआईपी को 50 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस दौरान इसने जलवायु-अनुकूल किस्मों, कीट प्रबंधन और पोषणयुक्त फसलों के विकास में उल्लेखनीय कार्य किया है। सीएसएआरसी की स्थापना से उत्तर प्रदेश वैश्विक बीज और प्रोसेसिंग नेटवर्क में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। विगत माह के अंतिम सप्ताह में भारत सरकार और सीआईपी के बीच एमओए पर हस्ताक्षर हुए थे। डॉ. सिमोन हेक ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर उनके सहयोग के लिए आभार जताया। उन्होंने कहा कि सीएसएआरसी न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि यूपी को दक्षिण एशिया का आलू इनोवेशन हब बना देगा।
मुख्यमंत्री योगी की पहल लाई रंग
– आलू-शकरकंद सहित अन्य कंद फसलों के नवाचार पर हुआ विचार
– पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने इस केंद्र की स्थापना के लिए मंजूर किए थे 111.50 करोड़ रुपये
– सीएम ने दिया सुझाव- आलू के साथ अन्य कंद फसलों की प्रजातियों पर भी अनुसंधान को प्राथमिकता दें