गुलशन वर्मा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ गत 25 अक्टूबर को सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) में हिस्सा लिया। आईजीसी में दोनों पक्षों ने 18 समझौतों और दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए जिनमें आपराधिक मामलों में पारस्परिक कानूनी सहायता संधि और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान तथा पारस्परिक सुरक्षा पर समझौता भी शामिल है।
हरित एवं सतत विकास के लिए साझा प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में बढ़ता सहयोग हमारे गहरे आपसी विश्वास को दर्शाता है। खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान पर समझौता इस दिशा में एक नया कदम है। आज हस्ताक्षरित पारस्परिक कानूनी सहायता संधि आतंकवाद तथा अलगाववादी तत्वों से निपटने के हमारे संयुक्त प्रयासों को और मजबूत करेगी।’’ मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी हरित एवं सतत विकास के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता पर लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम अपनी हरित और सतत विकास भागीदारी को आगे बढ़ाते हुए हरित नगरीय गतिशीलता साझेदारी के दूसरे चरण पर सहमत हुए हैं। इसके अलावा, हरित हाइड्रोजन प्रारूप की भी शुरुआत की गई है।’’ मोदी ने कहा कि वह और शोल्ज इस बात पर सहमत हैं कि 20वीं सदी में स्थापित वैश्विक मंच 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में सक्षम नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित विभिन्न बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है।’’
जर्मनी को अधिक कुशल भारतीयों की जरूरत
द्विपक्षीय वार्ता में छह उन्नत पनडुब्बियों के निर्माण की भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर भी चर्चा हुई। जर्मनी की थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स कंपनी भारतीय नौसेना से पनडुब्बी सौदा हासिल करने का प्रयास कर रही है जिसमें स्पेन की कंपनी नवंतिया भी प्रतिस्पर्धी है। शोल्ज ने जोर देकर कहा कि जर्मनी को अधिक कुशल भारतीयों की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘जर्मन श्रम बाजार में प्रतिभा का स्वागत है।’’ शोल्ज ने कहा कि हालांकि जर्मनी अनियमित प्रवासन को कम करने के प्रयासों में लगा है, लेकिन कुशल श्रमिकों के लिए इसके द्वार खुले हैं।
आईआईटी-चेन्नई और ड्रेसडेन विश्वविद्यालय के बीच समझौता
मोदी ने कहा कि लोगों से लोगों का संपर्क भारत-जर्मनी संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने कहा, ‘‘आज, हमने कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा में एक साथ काम करने का फैसला किया है। आईआईटी-चेन्नई और ड्रेसडेन विश्वविद्यालय के बीच एक समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं, जो हमारे छात्रों को दोहरे डिग्री कार्यक्रम का लाभ उठाने की अनुमति देगा।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का युवा प्रतिभा समूह जर्मनी की प्रगति और समृद्धि में योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के लिए जर्मनी द्वारा जारी कुशल श्रम नीति का स्वागत करते हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी युवा प्रतिभा को जर्मनी के विकास में योगदान करने के लिए बेहतर अवसर मिलेंगे।’’ इससे पहले, आईजीसी की शुरुआत करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी ऐसे समय में मजबूत सहारे के रूप में उभरी जब दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता का सामना कर रही है। मोदी ने कहा कि भारत-जर्मनी के संबंध आदान-प्रदान के संबंध नहीं, बल्कि दो सक्षम और मजबूत लोकतंत्रों की परिवर्तनकारी साझेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। इस समय में, भारत और जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत सहारे के रूप में उभरी है।’’
शोल्ज की तीसरी भारत यात्रा
प्रधानमंत्री ने कहा कि शोल्ज की भारत की यह तीसरी यात्रा है जो भारत तथा जर्मनी के बीच दोस्ती के ‘ट्रिपल जश्न’ को चिह्नित करती है। उन्होंने कहा, ‘‘2022 में बर्लिन में पिछले आईजीसी में हमने अपने द्विपक्षीय सहयोग के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए थे। दो वर्षों में, हमारे सामरिक संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहजनक प्रगति हुई है। रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है जो आपसी विश्वास के प्रतीक बन गए हैं।’’
जर्मन बिजनेस 2024 के 18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन में भी दोनों नेता
प्रधानमंत्री ने जर्मनी द्वारा घोषित ‘फोकस ऑन इंडिया’ रणनीति का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि अपनी साझेदारी को विस्तार देने और बढ़ाने के लिए हम कई नयी और महत्वपूर्ण पहल कर रहे हैं और ‘संपूर्ण सरकार’ से पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहे हैं।’’ मोदी और शोल्ज ने जर्मन बिजनेस 2024 के 18वें एशिया-प्रशांत सम्मेलन को भी संबोधित किया जो 12 साल के अंतराल के बाद भारत में आयोजित किया गया। इसमें 650 से अधिक व्यापारिक नेताओं ने भाग लिया। आईजीसी एक द्विवार्षिक कवायद है और पिछली बार इसका आयोजन मई 2022 में बर्लिन में किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चांसलर के बीच बैठक में जर्मन-भारतीय हरित और सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी) पर सहमति बनी थी। वर्ष 2011 में आईजीसी की शुरुआत की गई थी। इसमें सहयोग की व्यापक समीक्षा और विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच जुड़ाव के नए क्षेत्रों की पहचान की जाती है।
ओलाफ शोल्ज का गोवा में भारतीय परंपराओं से स्वागत
पणजी। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज का डाबोलिम, गोवा में गर्मजोशी से स्वागत किया। गोवा में उन्होंने जर्मन नौसेना के दो जहाजों, फ्रिगेट बाडेन-वुर्टेमबर्ग और सप्लाई शिप फ्रैंकफर्ट एम मेन का दौरा किया जो भारत और जर्मनी के बीच सैन्य आदान-प्रदान का हिस्सा हैं।
गर्मजोशी से स्वागत
प्रमोद सावंत ने अन्य अधिकारियों के साथ, जिनमें बंदरगाहों के लिए राज्य मंत्री श्रीपाद नाइक, रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, प्रोटोकॉल मंत्री माविन गोडिन्हो और सचिव प्रोटोकॉल संजीत रोड्रिग्स शामिल थे, आईएनएस हंसा, डाबोलिम में शोल्ज का स्वागत किया। सावंत ने शोल्ज को कुंभी शॉल और पारंपरिक दीप भेंट किया। चांसलर का पारंपरिक भारतीय टीका और गोवा के लोक फ्यूजन प्रदर्शन के साथ स्वागत किया गया। जर्मन नौसेना के कप्तान हेल्गे रिश ने भारत की यात्रा पर खुशी जताई, इसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक प्रमुख क्षेत्रीय साझेदार बताया।
बिट्स पिलानी का दौरा
अपने दौरे के दौरान, शोल्ज ने गोवा में बिट्स पिलानी का भी दौरा किया, जहां उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत की और उनके नवाचारी प्रोजेक्ट्स का अवलोकन किया। उन्होंने भारत और जर्मनी के बीच नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की और भारत में हरित ऊर्जा की तेजी से बढ़ती प्रगति पर जोर दिया।
सीमाओं को बल प्रयोग से नहीं बदला जाना चाहिए : शोल्ज
जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज ने बिट्स पिलानी के छात्रों से बातचीत में राष्ट्रीय सीमाओं के सम्मान को शांति का आधार बताया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता है।
ओलाफ शोल्ज ने कहा कि सीमाओं को ‘युद्ध या बल प्रयोग’ के जरिए नहीं बदला जाना चाहिए। अब समय आ गया है कि हम संबंधों को कुछ इस तरह से विकसित करें कि वे समान स्तर पर हों। कोई दूसरों को यह नहीं बता रहा हो कि किसे क्या करना है।
भारत-जर्मनी के बीच अच्छे रिश्ते
शोल्ज ने कहा कि बहुत सारे भारतीय अब जर्मनी में रह रहे हैं, जिनमें लगभग 50 हजार छात्र भी शामिल हैं, जो 2022 की संख्या के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा है।
भारत-जर्मनी के बीच अच्छे रिश्ते होने का जिक्र करते हुए शोल्ज ने कहा, ‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि जर्मन विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों में भारतीय छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा हो गई है।’ जर्मन चांसलर ने कहा कि भारत और जर्मनी नवाचार, गतिशीलता और निरंतरता के साथ मिलकर आगे बढ़ रहे हैं।
पीएम मोदी के साथ इन मुद्दों पर चर्चा की
सुचारू व्यापार के लिए समुद्री सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि देशों को अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए। शोल्ज ने कहा, ‘मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि इन सार्वभौमिक समझौतों में निर्धारित नियमों का पालन सभी को करना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘ये नियम सबसे ताकतवर देशों की ओर से निर्धारित नहीं किए जाने चाहिए। ये ऐसे नियम होने चाहिए कि हम एक साथ विकास करें, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून से जुड़ी अदालत का मानना है।’ शोल्ज ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इन मुद्दों पर चर्चा की और हम सहमत हुए कि यह एक महत्वपूर्ण पहलू है।
जर्मनी में 4 गुना ज्यादा कामगारों को वीजा
चांसलर ओलाफ शोल्ज ने कहा कि द्विपक्षीय वार्ता में जर्मनी में भारतीय कुशल कामगारों की बढ़ती मांग पर काफी जोर रहा। जर्मनी अब भारत के कुशल व प्रशिक्षित श्रमिकों के लिए सालाना वीजा की संख्या 20,000 से बढ़ा कर 90,000 कर देगा। यह दोनों देशों के हित में है।