आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। एडवांस टेक्नोलॉजी का फायदा भारतीय सेना को मिले, इसके लिए इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली ने अपनी चार टेक्नोलॉजी को अलग-अलग भारतीय इंडस्ट्री को सौंपी है। आईआईटी दिल्ली में डीआरडीओ इंडस्ट्री अकैडेमिया-सेंटर ऑफ एक्सिलेंस ने इन टेक्नोलॉजी को ट्रांसफर करने के लिए अलग-अलग एमओयू साइन किए।
हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट के लिए मिधानी, एसपीपी व एआर पॉलिमर्स, इन तीन इंडस्ट्री के साथ करार हुआ पॉलिमेरिट बैलिस्टिक मटीरियल बनाने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वडोदरा के साथ एमओयू साइन किया गया है। कोल्ड वेदर क्लोदिंग (-60 डिग्री सेल्सियस ठंडे मौसम) के लिए एरोनव इंडस्टि्रयल सेफ्टी एप्लाइंस, अर्नफ इंडस्ट्रीज, एरो गार्मेंट्स के साथ करार हुआ है।
बहुत गर्म प्रोटेक्टिव क्लोदिंग के लिए एरोनव, ऐरो के अलावा कैटालिस्ट टेकटेक्स लिमिटेड के साथ एमओयू साइन हुआ है।
एग्रीमेंट साइन करने के लिए आईआईटी दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा डीआरडीओ के चेयरमैन समीर वी कामत, आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रो रंगन बनर्जी और तमाम इंडस्ट्री के अधिकारी शामिल हुए। समझौते पर प्रोफेसर नरेश भटनागर, डीन (रिसर्च एंड डिवलपमेंट), डॉ. एन रंजना, निदेशक एफटीएम समेत इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए।
डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन) की निगरानी में आईआईटी दिल्ली की अलग-अलग रिसर्च टीम ने इन टेक्नलॉजी को तैयार किया है। इनमें हल्के वजन वाले बॉडी आर्मर, हाई क्वॉलिटी एयरोस्टेट और एयरशिप मटीरियल, स्मार्ट सोल्जर जैकेट, ऊर्जावान सामग्री के स्पेक्ट्रोस्कोपी स्टडी के लिए टेराहर्ट्ज टेक्नीक, फायर फाइटर के अत्यधिक गर्मी से बचाने वाले जैकेट और काफी ऊंचाई वाले अत्यधिक ठंडे मौसम के लिए सैनिकों की जैकेट शामिल हैं।
सभी रिसर्च एक्टिविटी की योजना फील्ड में तैनात सैनिक को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। राष्ट्र की रक्षा सुरक्षा के क्षेत्र में देश के आत्मनिर्भर बनने के सपने को साकार करने के लिए आईआईटी दिल्ली में लगभग 100 फैकल्टी मेंबर, 200 रिसर्च स्कॉलर्स और स्टाफ शामिल थे। सेना के लिए टेक्नोलॉजी उद्देश्य के साथ डीआरडीओ की निगरानी में पांच टेक्नोलॉजी फील्ड के तहत लगभग 50 रिसर्च परियोजनाएं आईआईटी दिल्ली में शुरू की गईं।