ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में चिंता, तनाव और डिप्रेशन आम समस्याएं बन चुकी हैं। ये सब न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चिंता और अवसाद के मामलों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। भारत में भी यह दर काफी तेजी से बढ़ रही है, इसलिए मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी हो चुका है।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉक्टर मानसी मौर्या के अनुसार लंबे समय तक कोई व्यक्ति तनाव से जूझ रहा हो तो नींद पर बुरा असर पड़ सकता है, इम्यूनिटी काफी कमजोर हो सकती है और हृदय से जुड़ी बीमारियां व डायबिटीज जैसी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य तीन दोषों पर निर्भर करता है-वात, पित्त और कफ। वात, पित्त और कफ के असंतुलन से कई मानसिक परेशानियां उत्पन्न हो सकती हैं।
आयुर्वेद में मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मन और शरीर के संतुलन से बताया गया है। प्राणायाम, योग, जड़ी-बूटियों के उपयोग और सही आहार से मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित किया जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार जब वात असंतुलित होता है तो चिंता, घबराहट, नींद न आने और मन स्थिर न रहने की समस्या देखी जा सकती है, इसे वात दोष कहते हैं। अगर पित्त असंतुलित हो जाए तो चिड़चिड़ापन, गुस्सा और हाइपरएक्टिविटी जैसी मानसिक स्थिति देखने को मिल सकती है, इसे पित्त दोष कहते हैं। वहीं अगर शरीर में कफ बढ़ जाए तो आलस्य, अवसाद, उदासी और सुस्ती छाने लगती है इसे कफ दोष कहते हैं।
पारंपरिक दवाओं की सीमाएं और प्रभाव
डिप्रेशन या चिंता के इलाज के लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं लेकिन उनके कई बुरे प्रभाव भी होते हैं जैसे याददाश्त में कमी होना, आलस और दवाओं पर निर्भरता। लंबे समय तक अगर पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाए तो इसका प्रभाव भी कम होने लगता है, जिस कारण लोग अब नेचुरल और सुरक्षित उपचारों की ओर ध्यान दे रहे हैं। आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा काफी गहरा है। यह बिना किसी साइड इफेक्ट के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।
प्राकृतिक समाधान है आयुर्वेद
आयुर्वेद हजारों साल पुरानी भारतीय चिकित्सा पद्धति है। यह मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के लिए संपूर्ण दृष्टिकोण पर भरोसा रखती है। इसके अनुसार शरीर के तीन दोषों को संतुलित कर लिया जाए तो मानसिक समस्याओं को काबू में किया जा सकता है। आयुर्वेद में हर्बल दवाएं ,खानपान, योग और ध्यान के माध्यम से वात, पित्त और कफ को संतुलित बनाए रखने पर ध्यान दिया जाता है। सही जीवन शैली और दिनचर्या को अपना कर भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का सही उपयोग
मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आयुर्वेद में अश्वगंधा, शंखपुष्पी और ब्राह्मी के पाउडर के कैप्सूल या चाय को बहुत अच्छी औषधि माना गया है। इन्हें गर्म दूध, शहद या घी के साथ लेने की सलाह दी जाती है ताकि यह हमारे शरीर में अच्छे से एब्जॉर्ब हो जाए। बेहतर परिणाम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ली जा सकती है।





























