ब्लिट्ज ब्यूरो
मुजफ्फरपुर। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) अब ग्रामीण विकास की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएगा। विश्वविद्यालय को उन्नत भारत अभियान के संस्थागत सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया है। इस बात की जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने दी। उन्होंने बताया कि इस योजना की स्वीकृति आईआईटी दिल्ली से प्राप्त हो चुकी है।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय स्तर पर इस योजना का संचालन भौतिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. पिनाकी लाहा को प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर (पी.आई.) कोऑर्डिनेटर के रूप में जिम्मेदारी दी गई है। डॉ. लाहा ने सितंबर 2024 में उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत बीआरएबीयू को भागीदारी संस्थान बनाने हेतु आवेदन किया था, जिसके बाद यह स्वीकृति मिली।
सर्वांगीण विकास
योजना के तहत विश्वविद्यालय ने मुशहरी प्रखंड के पांच गांवों—खबड़ा, भीखनपुर डीह, बरमतपुर, भगवानपुर और ब्रह्मपुरा को गोद लिया है. विश्वविद्यालय इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण और तकनीकी हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करेगा।
एकदिवसीय कार्यशाला की गई आयोजित
इस पहल को मजबूती देने के लिए 30 अगस्त को एनआईटी पटना परिसर में ग्राम पंचायत विकास योजना विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई थी। इसमें बिहार के विभिन्न भागीदार संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बीआरएबीयू की ओर से इस कार्यशाला में डॉ. पिनाकी लाहा ने प्रतिनिधित्व किया।
खत्म होगी दूरी
उन्नत भारत अभियान की मूल अवधारणा ग्रामीण विकास की प्रक्रियाओं में परिवर्तनकारी बदलाव लाना है। उच्च शिक्षण संस्थानों के ज्ञान, अनुसंधान और तकनीकी संसाधनों का उपयोग करके गांवों की जटिल समस्याओं का समाधान खोजना इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य है। बीआरएबीयू जैसे बड़े विश्वविद्यालय की सक्रिय भागीदारी से न केवल ग्रामीणों की जीवनशैली में सुधार आएगा बल्कि छात्रों और शोधकर्ताओं को भी व्यवहारिक स्तर पर समाज की वास्तविक चुनौतियों को समझने का अवसर मिलेगा।