ब्लिट्ज ब्यूरो
मेलबर्न। एक बड़ा संचार उपग्रह अपनी कक्षा में टूट गया है, जिससे यूरोप, मध्य अफ्रीका, मध्य पूर्व, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के उपयोगकर्ता प्रभावित हुए हैं, वहीं हमारे ग्रह के पड़ोस में अंतरिक्ष कचरे के खतरे में भी इजाफा हुआ है। इंटेलसैट 33ई उपग्रह भूमध्य रेखा के चारों ओर भूस्थिर कक्षा में हिंद महासागर से लगभग 35,000 किलामीटर ऊपर एक बिंदु से ब्रॉडबैंड संचार प्रदान करता था। बीस अक्टूबर को प्रारंभिक खबरों में कहा गया था कि इंटेलसैट 33ई की अचानक बिजली गुल हो गई है।
यूएस स्पेस फोर्सेस-स्पेस ने भी पुष्टि की कि उपग्रह कम से कम 20 टुकड़ों में टूट गया है। इंटेलसैट 33ई के टूटने के कारणों के बारे में कोई पुष्ट खबर नहीं है। हालांकि, यह अपनी तरह की पहली घटना नहीं है। अतीत में हमने उपग्रहों को नष्ट होते, आकस्मिक टकराव और बढ़ी हुई सौर गतिविधि के कारण उपग्रहों को नष्ट होते देखा है। बोइंग द्वारा डिजाइन और निर्मित, उपग्रह को अगस्त 2016 में प्रक्षेपित किया गया था।
इंटेलसैट जांच कर रहा है कि क्या गलत हुआ, लेकिन शायद हम कभी नहीं जान पाएंगे कि उपग्रह के टुकड़े होने का कारण क्या था। हम जानते हैं कि उसी मॉडल का एक और इंटेलसैट उपग्रह, बोइंग द्वारा निर्मित एपिकएनजी 702 एमपी, 2019 में विफल हो गया था। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम टूटने के बाद के परिणामों से सीख सकते हैं।
इंटेलसैट 33ई की क्षति के बारे में सबसे चिंताजनक बातों में से एक यह है कि टूटने से कचरे के इतने छोटे हिस्से बने होंगे कि हम उसे मौजूदा सुविधाओं के साथ नहीं देख पाएंगे। पिछले कुछ महीनों में कक्षा में निष्क्रिय और परित्यक्त वस्तुओं के अनियंत्रित होकर टूटने की कई घटनाएं देखी गई हैं। अभी तक यह ज्ञात नहीं है कि हालिया घटना कक्षा में अन्य वस्तुओं को प्रभावित करेगी या नहीं। यहीं पर इन जटिल अंतरिक्ष मलबे के वातावरण को समझने के लिए आकाश की निरंतर निगरानी महत्वपूर्ण हो जाती है।