ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति पर लिए गए दो सरकारी आदेश रद कर दिए हैं। विपक्ष का आरोप था कि सरकार हिंदी को राज्य के लोगों पर थोपने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अब भाषा फार्मूला लागू करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की है। यह समिति तीन भाषा नीति पर विचार करेगी और अपनी सिफारिशें देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नरेंद्र जाधव समिति माशेलकर समिति की रिपोर्ट का अध्ययन करेगी। यह उन लोगों से भी बात करेगी जो इसका विरोध कर रहे हैं। इसके बाद यह तीन भाषा नीति को लागू करने पर अपनी सिफारिशें देगी।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार की नीति मराठी और मराठी छात्रों पर केंद्रित है। वे इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि हमारी नीति मराठी केंद्रित और मराठी छात्र केंद्रित है। हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहते।
इस फैसले के खिलाफ शिवसेना ठाकरे गुट और मनसे पार्टी 5 जुलाई को महारैली निकालने वाले थे। फडणवीस की घोषणा के बाद उद्धव व राज ठाकरे की महारैली रद कर दी गई है। इसके अलावा कई पार्टियां भी इस फैसले का विरोध कर रही थीं। विधान परिषद का मानसून सत्र शुरू हो गया है। इस सत्र की पूर्व संध्या पर मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में चाय समारोह का आयोजन किया गया। इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई। कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की कि वह हिंदी भाषा को लेकर पहले लिए गए दोनों सरकारी फैसलों को वापस ले रहे हैं।
देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा?
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने राज्य में मराठी को अनिवार्य कर दिया है। हमने तय किया है कि कोई भी भारतीय भाषा सीख सकता है। फिर भी, एक सोए हुए व्यक्ति को जगाया जा सकता है, लेकिन एक व्यक्ति जो सोने का नाटक करता है उसे नहीं जगाया जा सकता। हिंदी वैकल्पिक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सबसे पहले कर्नाटक ने लागू किया था। फिर मध्य प्रदेश, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश ने इसे लागू किया।































