ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन के बने नए फाइटर जेट जेएफ-17 थंडर और एसयू-30 एमकेआई के बीच मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा। एसयू-30 एमकेआई रूस के एसयू-30 का भारतीय वर्जन है। इस दौरान भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान की वायुसेना को पानी पिला दिया। उसके रहीम यार खान बेस समेत कई एयरबेस को नुकसान पहुंचा, जिससे पाकिस्तान अभी तक उबर नहीं पाया है। अब इन फाइटर जेट्स और ब्रह्मोस का अगला मैदान काकेशस क्षेत्र हो सकता है, जहां हालात कभी भी बिगड़ सकते हैं। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में चीन की नींद उड़ा दी है, क्योंकि फिलीपींस ने यह मिसाइल खरीद कर अपने नौसैनिक बेड़े में शामिल कर लिया है। अब आर्मेनिया भी इसे खरीदने पर विचार कर रहा है।
ब्रह्मोस ने पाकिस्तान को दिखाई औकात, दुनिया दीवानी
ब्रह्मोस की काबिलियत को देखते हुए कई देशों ने इसे खरीदने की इच्छा जताई है। फिलीपींस के अलावा, वियतनाम और इंडोनेशिया भी इस मिसाइल को खरीदने के लिए बातचीत में लगे हैं। वहीं, आर्मेनिया, थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, ब्राजील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला ने भी ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाई है। ऑपरेशन सिंदूर में मिनटों में पाकिस्तान को पटकनी देने वाले ब्रह्मोस की पूरी दुनिया दीवानी हो चुकी है। उसका युद्ध में कामयाब परीक्षण हो चुका है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है।
पाकिस्तान अजरबैजान को 
दे रहा है 40 जेएफ-17
यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने अजरबैजान के साथ 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक समझौता किया है। इसके तहत वह 40 चीन में बने जेएफ-17 थंडर फाइटर जेट देगा। साथ ही, 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश भी करेगा। अजरबैजान ने पहले पाकिस्तान से 16 जेएफ-17 का ऑर्डर दिया था, लेकिन अब इस नए समझौते से वह 40 विमान खरीदेगा। जेएफ-17 थंडर एक इंजन वाला फाइटर जेट है, जिसे पाकिस्तान और चीन ने मिलकर बनाया है। अजरबैजान का आर्मेनिया के साथ लंबे समय से विवाद चल रहा है। अजरबैजान जहां तुर्की-पाकिस्तान का दोस्त है, वहीं आर्मेनिया इन दोनों देशों का दुश्मन है और भारत से उसके बेहतर संबंध हैं। ये वही तुर्की
भारत से मांगे एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, आर्मेनिया की वायुसेना को तुरंत अपग्रेड करने की जरूरत है। आर्मेनिया के पास बहुत कम फाइटर जेट हैं। उसकी वायुसेना में 10-15 एसयू-25 फ्रॉगफुट हैं। कुछ एसयू-25 शायद 2020 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध में खो गए थे। आर्मेनिया के पास सिर्फ चार एसयू-30एसएम हैं। इन्हें 2019 में रूस से खरीदा गया था लेकिन रूस ने अभी तक इन फाइटर जेट के लिए हथियारों का पैकेज नहीं दिया है। अब आर्मेनिया ने भारत से एसयू-30 फाइटर जेट मांगे हैं। अक्टूबर 2024 के आखिर में आर्मेनिया ने भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 8-12 एसयू-30एमकेआई खरीदने की बात की थी। उसने एक बार फिर भारत से 8-12 एसयू-30 एमकेआई फाइटर जेट खरीदने की बात शुरू कर दी है।
भारत से एसयू-30 एमकेआई खरीदना क्यों सही
भारत आर्मेनिया का भरोसेमंद साथी है। 2020 में अजरबैजान के साथ युद्ध के बाद भारत और फ्रांस ने आर्मेनिया की सबसे ज्यादा मदद की है। राफेल खरीदना भी एक विकल्प हो सकता है, लेकिन इसकी कीमत लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। ऐसे में वह भारत में बने एसयू-30 एमकेआई खरीदने पर ध्यान देगा। ये फ्रांस के राफेल से ज्यादा सस्ते हैं। आर्मेनिया भारत से हथियारों की खरीद बढ़ा रहा है। उसने भारत में बने आकाश-1एस एयर डिफेंस सिस्टम भी खरीदे हैं। 2020 में दोनों देशों के बीच 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रक्षा साझेदारी हुई थी।
भारत से आकाश, पिनाका जैसे हथियार खरीदे
2022 में आर्मेनिया ने भारत से 72 मिलियन अमेरिकी डॉलर में 15 आकाश-1एस एयर डिफेंस सिस्टम का सौदा किया था। आर्मेनिया ने कम से कम चार यूनिट पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर का भी ऑर्डर दिया है। इसके अलावा, येरेवन ने 84 यूनिट एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम , जेन एंटी-ड्रोन सिस्टम, स्वाति वेपन-लोकेटिंग रडार, कोंकुर्स एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और कई अन्य हथियार सिस्टम का भी ऑर्डर दिया है।
भारत दे सकता है ब्रह्मोस से लैस 
एसयू-30 एमकेआई जेट्स
सिपरी के अनुसार, 2022 और 2024 के बीच भारत ने आर्मेनिया को लगभग 43% हथियार दिए थे। इन मुश्किल समय में भारत आर्मेनिया का सबसे भरोसेमंद रक्षा साथी बनकर उभरा है। भारत के पास एसयू-30 का सबसे बड़ा बेड़ा है। साथ ही भारत लाइसेंस लेकर इन्हें बनाता भी है। भारत आर्मेनिया को इन फाइटर जेट की मरम्मत और रखरखाव की सुविधा भी दे सकता है। भारत ने एसयू-30 एमकेआई में कई हथियार लगाए हैं। 













 
			
















