ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बाद देश के निर्यातकों के साथ-साथ यूपी से निर्यात होने वाले सामान पर भी असर दिखने लगा है। जानकारों के मुताबिक अमेरिका जाने वाले करीब 20 प्रतिशत ऑर्डर पहले ही रद हो चुके हैं। बड़ी संख्या में निर्यात होने वाले सामान को होल्ड कर दिया गया है। ऐसे में निर्यातकों के सामने संकट है कि इससे उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है। इस नुकसान को बचाने के लिए निर्यातक वैकल्पिक रास्ता अपनाने लगे हैं। इसके लिए निर्यातक उन बाजारों को चुन रहे हैं जहां माल को भेजा सकता है। इसमें खासतौर पर निर्यातकों की नजर भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन करने वाले देशों पर है जहां यूपी के सामान को बेचकर उद्यमी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
एमएसएमई उद्योग पर खासा असर
असोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्युफैक्चरर्स के नैशनल प्रेजिडेंट मनमोहन अग्रवाल के मुताबिक अमेरिकी टैरिफ का असर खासतौर पर एमएसएमई उद्योगों पर पड़ेगा। इसके असर को कम करने के लिए निर्यातक यूरोप और मिडिल ईस्ट के देशों जैसे यूएई, बहरीन, सऊदी अरब में निर्यात बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं।
दरअसल इन देशों में उत्तर प्रदेश के हैंडीक्रॉफ्ट, कालीन और दूसरे सामानों की अच्छी डिमांड है। अगर इन देशों में निर्यात बढ़ता है तो अमेरिकी टैरिफ का बहुत ज्यादा असर प्रदेश के एमएसएमई उद्यमियों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां भी भारतीय सामान को अच्छी कीमत मिलती है।
तलाशने होंगे नए बाजार
टैरिफ का असर कम करने के लिए नए बाजार तलाशने होंगे। खासतौर पर उन देशों के बाजारों पर नजर है, जिन्होंने भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट किया है। आलोक श्रीवास्तव, प्रमुख (यूपी), फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन ने यह बात कही।
‘कम लागत के लिए मदद करे सरकार’
निर्यातकों के मुताबिक अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने के लिए सरकार को मदद करनी चाहिए। इसमें खासतौर पर एमएसएमई उद्योगों को वो सुविधाएं दी जानी चाहिए जिससे वो कम कीमत पर उत्पाद तैयार कर सकें। इसके अलावा निर्यातकों को भी दी जाने वाली सुविधाओं में इजाफा किया जाना चाहिए जिससे दूसरे देशों में भारतीय माल को कम कीमतों पर पहुंचाकर बेचा जा सके।
इन देशों में उप्र का सबसे अधिक निर्यात
यूएसए 35,545 करोड़
यूके 12,300 करोड़
यूएई 10,876 करोड़
जर्मनी 9,763 करोड़































