ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बचाए गए बंधुआ मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता जारी न किए जाने पर नाराजगी जताई है। शीर्ष अदालत ने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वह राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बैठक करे और अंतर-राज्यीय मानव तस्करी के मुद्दे के समाधान के साथ-साथ बचाए गए बंधुआ मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता जारी करने के लिए एक प्रस्ताव लेकर आए।
उत्तर प्रदेश में खतरनाक स्थिति का विशेष रूप से संज्ञान लेते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने आदेश दिया कि जहां तक यूपी का सवाल है, आंकड़े चिंताजनक हैं।
केवल 1,101 को वित्तीय सहायता मिली
रिहा किए गए 5,262 बंधुआ मजदूरों में से केवल 1,101 को तत्काल वित्तीय सहायता मिली है। बच्चों की अंतर्राज्यीय तस्करी के मुद्दे को सुलझाने के लिए इस मुद्दे को केंद्र और सभी राज्यों की ओर से एकीकृत तरीके से संबोधित किए जाने को आवश्यकता है। इसलिए हम श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव को निर्देश देते हैं कि वे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने समकक्षों के साथ बैठक करें और एक प्रस्ताव लेकर आएं, जो अंतर्राज्यीय मानव तस्करी और रिहाई प्रमाण पत्र प्रदान करने से संबंधित हो।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि प्रस्ताव में एक सरलीकृत प्रक्रिया भी होनी चाहिए जो वास्तव में बचाए गए बाल मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना को प्रभावित करे।
प्रक्रिया को अंतिम रूप देने में केंद्र को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी शामिल करना चाहिए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि न्यायालय की ओर से सामान्य दिशा-निर्देश निर्धारित किए जा सकते हैं, ताकि वित्तीय सहायता जारी न करना एक अनवरत समस्या न बन जाए। इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि ऐसे विशिष्ट मामले हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
याचिकाकर्ताओं के वकील का तर्क
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि न्यायालय की ओर से सामान्य दिशा-निर्देश निर्धारित किए जा सकते हैं, ताकि वित्तीय सहायता जारी न करना एक अनवरत समस्या न बन जाए। इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि ऐसे विशिष्ट मामले हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।