ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। साल 2025 में जिन बच्चों का जन्म होगा, उन्हें जेन बीटा कहा जाएगा। जो कपल्स इस साल पेरेंट्स बनने वाले हैं, वो जरूर जानना चाहेंगे कि उनके बच्चे में क्या गुण और स्किल्स हो सकते हैं और इन बच्चों के साथ पेरेंट्स को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
2025 में जन्म लेने वाली यह जेनरेशन ऐसी दुनिया में बड़ी होगी जहां रोजमर्रा की जिंदगी में तकनीक पूरी तरह से फैल चुकी है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि तकनीक की इस दुनिया में इस जेनरेशन के बच्चों की परवरिश करने के लिए मां-बाप को किस तरह से खुद को तैयार करना होगा।
इको फ्रेंडली बिहेवियर : जलवायु परिवर्तन का मुद्दा दिन-प्रतिदिन और अधिक गंभीर होता जा रहा है। इसलिए, जेन बीटा को स्थिरता के बारे में सिखाना बहुत महत्वपूर्ण है। माता-पिता को उन्हें शुरू से ही कुछ पर्यावरण-अनुकूल आदतें जैसे कि रीसाइक्लिंग और पानी की बचत करना सिखाना चाहिए। घर में बगीचा लगाना उन्हें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बना सकता है।
इमोशनल इंटेलिजेंस : जेन बीटा जेनरेशन के पेरेंट्स के लिए अपने बच्चों को इमोशनल इंटेलिजेंस का गुण भी सिखाना होगा। इसमें बच्चों को अपनी भावनाओं को समझना और उन्हें व्यक्त करना शामिल है। इमोशनल ग्रोथ के लिए जरनल लिखने या कहानी सुनाने जैसी एक्टिविटीज काम आ सकती हैं।
आउटडोर एक्टिविटीज : आज तकनीक की इस दुनिया में बच्चे घर से बाहर निकलकर खेलना भूल ही गए हैं जबकि यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। आप अपने बच्चे को घर से बाहर निकलकर खेलने के लिए प्रेरित करें। उसे पार्क लेकर जाएं और स्कूल में अलग-अलग स्पोर्ट्स में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें।
खुले विचार रखें : जेन बीटा की परवरिश के लिए लचीलापन और खुले विचार रखने की आवश्यकता है। माता-पिता को नई जानकारी व बदलती परिस्थितियों के आधार पर अपने दृष्टिकोण को बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए। विभिन्न शैक्षिक विधियों या तकनीकी उपकरणों के लिए खुले रहने से शुरुआत करें, इससे माता-पिता को यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि उनके बच्चे की अनूठी जरूरतों के लिए सबसे अच्छा क्या है।
इस जेनरेशन के पेरेंट्स के लिए सबसे ज्यादा बड़ा चैलेंज होगा अपने बच्चों को स्क्रीन से दूर रख पाना। अब तो एआई भी आ गया है और ऐसे में पेरेंट्स के लिए बच्चों को स्क्रीन से दूख रखना और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है। तकनीक को लेकर बाउंड्री बनाना बहुत जरूरी हो गया है। बच्चों में टेक को लेकर हेल्दी आदतें विकसित करने की जरूरत हैं।