ब्लिट्ज ब्यूरो
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य के 13 जिलों के 8 लाख, 84, हजार, 772 किसानों को बड़ी सौगात देते हुए अतिवृष्टि, बाढ़ और कीटों के हमले से हुई फसलों की क्षति के लिए 653.34 करोड़ रुपए की राहत राशि ट्रांसफर की। मुख्यमंत्री ने भोपाल में मुख्यमंत्री आवास स्थित समता भवन में आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान एक क्लिक के माध्यम से यह राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी। इस मौके पर सीएम ने कहा कि किसानों की सेवा ही भगवान की सेवा है। किसी भी आपदा या विपत्ति में सरकार किसानों के साथ परिवार की तरह खड़ी है। किसानों की मेहनत और चेहरों की मुस्कान ही हमारी असली दीपावली है।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावित 3 लाख 90 हजार 167 किसानों को 331.34 करोड़ रुपए दिए गए, जबकि पीले मोजेक रोग और कीटों के हमले से प्रभावित 4 लाख 94 हजार 605 सोयाबीन किसानों को 322 करोड़ रुपए का हस्तांतरण किया गया।
सीएम यादव ने कहा कि राहत राशि देते समय और फसल सर्वेक्षण के दौरान पूरी तरह से पारदर्शिता बरती जा रही है। किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। सोयाबीन उत्पादक किसानों के लिए भावांतर योजना भी शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बिक्री मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि सीधे प्रदान करेगी, जिससे किसानों को किसी तरह का नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार हर कदम पर किसानों के साथ खड़ी है और उनके सुख-दुख की भागीदार है। आपदा के समय राज्य के किसी किसान को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि साल 2025-26 में अब तक विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों को कुल 229.45 करोड़ रुपए की राहत राशि प्रदान की जा चुकी है। इस दौरान 6 सितंबर को 11 जिलों के 17000 से ज्यादा किसानों को फसल नुकसान के लिए 20 करोड़ रुपए से ज्यादा की राहत प्रदान की गई। राज्य के इतिहास में पहली बार सोयाबीन की फसलों में पीला मोजेक रोग से प्रभावित किसानों को राज्य सरकार द्वारा राहत राशि दी गई है।
राहत राशि वितरण के दौरान, मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रभावित किसानों से बातचीत भी की। मुख्यमंत्री ने सभी किसानों को बधाई दी और कहा कि सोयाबीन किसानों के लिए भावांतर योजना का पंजीकरण शुरू हो गया है। अब किसानों को अपनी फसल बेचने में कोई कठिनाई नहीं होगी। यदि सोयाबीन की फसलें एमएसपी से कम दाम पर बाजार में बिकती हैं, तो अंतर की राशि 15 दिनों के भीतर सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा कर दी जाएगी।