संजय द्विवेदी
लखनऊ। प्रदेश में आम लोगों और जमीन मालिकों के लिए बहुत बड़ी राहत की खबर है। यूपी में पहली बार आबादी की जमीन का मुआवजा भी मिलने लगा है। इसकी शुरुआत वाराणसी से हुई है। अभी तक आबादी की जमीन पर किए गए निर्माण का ही मुआवजा मिलता था। नए प्रावधान को पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए शासन में प्रस्ताव भेजा गया है।
पता चला है कि उत्तर प्रदेश में आबादी की जमीन के अधिग्रहण पर भी मुआवजा देने का फैसला सरकार लेने जा रही है। शर्त यह कि प्रभावित व्यक्ति का जमीन पर 1951 से पहले से कब्जा रहा हो। सूबे में पहली बार बनारस में इसी व्यवस्था के तहत जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है जिसमें चार हेक्टेयर जमीन ले ली गई है। अब तक आबादी की जमीन पर हुए निर्माण का मुआवजा देने का प्रावधान है। बनारस में नया प्रयोग सफल होने पर शासन के कहने पर जिला प्रशासन ने पूरे प्रदेश में नए प्रावधान को लागू करने के लिए प्रस्ताव भेजा है।
किसी परियोजना में जमीन अधिग्रहण के दौरान केवल खतौनी में अंकित नाम के हिसाब से प्रभावित को मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था तय है। इस दौरान आबादी की जमीन पर काबिज व्यक्ति को केवल उसके निर्माण की लागत को बतौर मुआवजा दिया जाता है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में विभिन्न उद्योगों, सड़क चौड़ीकरण आदि परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में आ रही अड़चनों को देखते हुए हर प्रभावित व्यक्ति को हर हाल में उनकी क्षतिपूर्ति और पुनर्वास के बंदोबस्त का निर्देश दिया है। इसे देखते हुए बनारस में पहली बार आबादी की जमीन का भी मुआवजा देने का जिला प्रशासन ने निर्णय लिया।
निर्माणाधीन बाबतपुर एयरपोर्ट विस्तारीकरण में प्रशासन ने लगभग 358 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। इसमें 80 फीसदी जमीनों का अधिग्रहण लोगों की सहमति पर हो चुका है। शेष भी आवश्यक अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहित की जा रही है। इसी के अंतर्गत बसनी, घमहापुर एवं पुरारघुनाथपुर में 1000 से अधिक व्यक्तियों को आबादी की जमीन का भी मुआवजा दिया जा रहा है।
इन सभी का उनकी जमीनों पर कब्जा 1951 से पहले का था। इस तरह सरकार ने चार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। प्रशासन का कहना है कि पीएम स्वामित्व योजना के तहत आबादी की जमीन पर उन्हें घरौनी प्रमाण पत्र दिया गया है। मालिकान होने के नाते मुआवजा राशि दी जा रही है। यही जमीन प्रभावित लोगों का एकमात्र आधार था। इसलिए उनके पुनर्वास के लिए मुआवजा दिया गया है। जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के अनुसार सूबे में पहली बार आबादी की जमीन का मुआवजा प्रशासन ने दिया है। अब इसका प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजा गया है ताकि अन्य जनपदों में नई व्यवस्था के तहत जमीनों का अधिग्रहण किया जा सके।
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