ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर लोकसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब अंग्रेज भारत को बांटने की कोशिश कर रहे थे, तब वंदे मातरम् ने ही उन्हें रोक रखा था।
उन्होंने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग के दबाव में वंदे मातरम् के टुकड़े कर दिए गए। मोदी ने यह भी कहा, कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे पर झुकी, इसलिए उसे एक दिन भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा। मोदी ने 1975 में देश में लगाए गए आपातकाल का हवाला दिया और कहा कि जब राष्ट्रीय गीत के 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था और संविधान का गला घोंट दिया गया था।
पीएम मोदी ने कहा कि अंग्रेजों ने भारत को बांटने के लिए पश्चिम बंगाल को चुना था। उन्होंने कहा, ‘अंग्रेज समझ चुके थे कि 1857 के बाद लंबे समय तक भारत में टिकना उनके लिए मुश्किल लग रहा था। जिस प्रकार से वो अपने सपने लेकर आए थे, तब उनको लगा कि जब तक भारत को टुकड़ों में नहीं बांटेंगे, भारत में ही लोगों को एक दूसरे से लड़ाएंगे नहीं, तब तक यहां तक राज करना मुश्किल है।’
उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजों ने ‘बांटो और राज करो’ रास्ते को चुना और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया। वो एक वक्त था जब बंगाल का बौद्धिक सामर्थ्य देश को दिशा दे रहा था, देश को ताकत देता था, देश को प्रेरणा देता था। इसलिए अंग्रेज भी चाहते थे कि बंगाल का जो सामर्थ्य है, वो देश की शक्ति का एक प्रकार से केंद्र बिंदु है। इसलिए अंग्रेजों ने बंगाल के टुकड़े करने की दिशा में काम किया।’ उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजों का मानना था कि एक बार बंगाल टूट गया, तो देश भी टूट जाएगा। 1905 में बंगाल का विभाजन किया। जब अंग्रेजों 1905 में ये पाप किया, तब वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा।’
उन्होंने कहा, ‘बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम ् गली गली का नाद बन गया था। वही नारा प्रेरणा देता था। अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन के साथ भारत को कमजोर करने के बीज और अधिक बोने की दिशा पकड़ ली थी, लेकिन वंदे मातरम् एक स्वर, एक सूत्र के रूप में अंग्रेजों के लिए चुनौती बनता गया। बंगाल का विभाजन तो हुआ, लेकिन एक बहुत स्वदेशी आंदोलन खड़ा हुआ और तब वंदे मातरम् हर तरफ गूंज रहा था।’
पीएम मोदी ने कहा, बंगाल की धरती पर बंकिम बाबू ने जो भाव तैयार किया था, उसने अंग्रेज सल्तनत को हिला दिया और अंग्रेजों ने उसको कानूनी रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा। गाने पर सजा, छापने पर सजा और वंदे मातरम् बोलने पर भी सजा। इतने कठोर कानून कर दिए गए थे। हमारे देश की आजादी के आंदोलन में सैकड़ों महिलाओं ने नेतृत्व किया, योगदान दिया।





























