ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। दिसंबर 2001 के पहले तक संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे शहरी निकायों के कर्मचारियों की नौकरी पक्क ी किए जाने की तैयारी है। स्थानीय निकाय निदेशालय ने सभी शहरी निकायों से इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है। शहरी निकायों से सहमति का प्रस्ताव मिलने के बाद वित्त और कार्मिक विभाग से सहमति लेकर स्थायीकरण के आदेश जारी किए जाएंगे।
प्रदेश भर के कर्मचारी और शिक्षक संगठन संविदा या डेलीवेज पर काम कर रहे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की मांग कर रहे थे। कर्मचारी और शिक्षक संगठनों की मांग देखते हुए कार्मिक विभाग ने साल 2016 में एक विनियमितीकरण नीति तैयार की थी।
इस नीति के मुताबिक दिसंबर 2001 या उससे पहले से काम कर रहे संविदा या डेलीवेज कर्मचारियों को रिक्तियों के पदों पर विनियमित किया जाना था। कार्मिक विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा था पर वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियों के साथ प्रस्ताव विचाराधीन कर दिया था। अब शहरी निकायों में काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों के विनियमितीकरण की तैयारी शुरू हो गई है।
सूत्र बताते हैं कि शहरी निकाय अपने संसाधनों से ही विनियमित होने वाले कर्मचारियों का वेतन आदि का खर्च वहन करेंगे। इससे सीधे तौर पर सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। इसलिए विनियमितीकरण के आदेश में लगा सबसे बड़ा पेंच समाप्त हो जाएगा और कर्मचारियों के विनियमित होने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।
बताया जा रहा है कि शहरी निकायों के कर्मचारी लगातार विनियमितीकरण के संबंध में शासन से मांग कर रहे हैं। बीते दिनों कर्मचारी संगठनों ने शासन से कहा था कि अगर उनकी पुरानी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे आंदोलन तेज करेंगे और काम बंदी का भी फैसला लिया जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि कर्मचारियों की मांग को देखते हुए रुकी हुई प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई है।