ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संवैधानिक अदालतें मनी लॉन्डि्रंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों को ईडी के लिए ऐसा टूल बनाने की इजाजत नहीं दे सकती, जिससे लोगों को लंबे समय तक कैद में रखा जा सके। जब इस एक्ट के तहत दर्ज शिकायत की सुनवाई समय से ज्यादा लंबी चलने की संभावना है, तो अदालतों को जमानत देने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने पर विचार करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तमिलनाडु के पूर्व मंत्री और डीएमके नेता सेथिल बालाजी को मनी लॉन्डि्रंग के केस में जमानत देते हुए की। कोर्ट ने कहा, ‘पीएमएलए की धारा 45(1) (2) सरकार को किसी आरोपी को गलत तरीके से लंबे समय तक हिरासत में रखने की शक्ति नहीं देती है।’ बालाजी 15 महीने से जेल में बंद थे। कोर्ट ने कहा, अगर वह लगातार हिरासत में रहे तो यह जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा।































