ब्लिट्ज ब्यूरो
बातुमी (जॉर्जिया)। भारत की 19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने ग्रैंडमास्टर और हमवतन कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर राउंड में हराकर महिला शतरंज विश्व कप (फिडे) का फाइनल मुकाबला जीत लिया है। कोनेरू हम्पी के पास वापसी का एक छोटा सा मौका था, लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा सकीं और दिव्या ने काले मोहरों पर शानदार जीत दर्ज की। दिव्या यह खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। वर्ल्ड चैंपियन बनने के साथ वे भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर भी बन गई हैं।
दिव्या को मिलेंगे 42 लाख रुपए
फिडे विमेंस वर्ल्ड कप जीतने पर दिव्या को लगभग 42 लाख रुपए मिलेंगे। वहीं वर्ल्ड कप (ओपन सेक्शन) के विजेता को लगभग ₹91 लाख मिलते हैं।
मां ट्रेन में सिखाती थीं चेस
उनके माता-पिता ने बताया कि जब वो टूर्नामेंट के लिए बाहर जाती थीं, तब ट्रेन के डिब्बे में ही मां उन्हें गेम्स सिखाती थीं, पिछले मुकाबलों की समीक्षा कराती थीं।
उनके पहले कोच नीलेश जाधव ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘दिव्या बहुत ही अलग सोच रखती थी। उसके मूव्स बड़े खिलाड़ियों जैसे होते थे। हमने जल्दी समझ लिया कि ये बच्ची साधारण नहीं है।’
पीएम मोदी ने दी बधाई
दिव्या ने पिछले महीने वर्ल्ड टीम रैपिड और ब्लिट्ज चेस चैंपियनशिप में दुनिया की नंबर-1 चेस प्लेयर होउ यिफान को हराया था। दिव्या की इस अचीवमेंट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी थी।
पीएम मोदी ने सोशल प्लेटफार्म X पर लिखा-‘लंदन में वर्ल्ड टीम ब्लिट्ज चैंपियनशिप के दूसरे चरण के सेमीफाइनल में दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी होउ यिफान को हराने पर दिव्या देशमुख को बधाई। उनकी सफलता उनके धैर्य और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है। यह कई उभरते शतरंज खिलाड़ियों को भी प्रेरित करती है। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं।’
नितिन गडकरी ने वीडियो काल करके दी शाबाशी
दिव्या की कामयाबी पर केंद्रीय मंत्री और नागपुर से लोकसभा सांसद नितिन गडकरी ने वीडियो काल करके बधाई दी। नागपुर की बेटी के वर्ल्ड चैंपियन बनने की खुशी नितिन गडकरी के चेहरे पर साफ झलक रही थी। उन्होंने दिव्या को मराठी के साथ हिंदी और अंग्रेजी शब्दों का इस्तेमाल करके बधाई दी।
भारत की नारी का बोलबाला
इस टूर्नामेंट में पहली बार भारत की चार महिला खिलाड़ियों, कोनेरू हम्पी, हरिका द्रोणवल्ली, आर. वैशाली और दिव्या देशमुख ने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी जो भारतीय शतरंज के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही।
दिव्या ने सात साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती थी
नौ दिसंबर 2005 को नागपुर में जन्मीं दिव्या ने पांच साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता डॉक्टर हैं। उनके पिता का नाम जितेंद्र और माता का नाम नम्रता है। दिव्या ने 2012 में सात साल की उम्र में अंडर-7 नेशनल चैंपियनशिप जीती। इसके बाद उन्होंने अंडर-10 (डरबन, 2014) और अंडर-12 (ब्राजील, 2017) कैटेगरी में विश्व युवा खिताब भी जीते। इसके बाद 2014 में डरबन में आयोजित अंडर-10 वर्ल्ड यूथ टाइटल और 2017 में ब्राजील में अंडर-12 कैटेगरी में भी खिताब अपने नाम किए।
2023 में दिव्या ने हासिल किया था इंटरनेशनल मास्टर का खिताब
दिव्या ने 2023 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब भी प्राप्त कर लिया। 2024 में उन्होंने विश्व जूनियर गर्ल्स अंडर-20 चैंपियनशिप में परचम लहराया, जहां उन्होंने 11 में से 10 अंक जुटाकर शीर्ष स्थान हासिल किया। इसके अलावा, 45वें चेस ओलंपियाड में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। दिव्या एशियाई जूनियर चैंपियन भी हैं। दिव्या शतरंज की दुनिया में अब जाना-पहचाना नाम है।
कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर चुकीं दिव्या
ओलंपियाड में तीन स्वर्ण, कई एशियाई और विश्व युवा खिताब उनके नाम हैं। चेन्नई में शतरंज गुरुकुल में जीएम आरबी रमेश द्वारा प्रशिक्षित दिव्या को उनकी तेज सामरिक दृष्टि, अडिग धैर्य और रचनात्मक प्रतिभा के लिए सराहा जाता है। दिव्या ने कैंडिडेट्स शतरंज टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई कर लिया है। महिला विश्व कप में शामिल शीर्ष तीन खिलाड़ियों को कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में प्रवेश मिलता है।































