मुंबई। महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत के बाद बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली है। आइये जानते हैं इनकी कुछ खासियतों के बारे में।
• देवेंद्र फडणवीस के बारे में कहा जाता है कि ‘आरएसएस मैन इन बीजेपी’ लेकिन जिस तरह से उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में कौशल दिखाए हैं इसके बाद कहा जाने लगा है कि ‘बीजेपी मैन इन आरएसएस’। देवेंद्र फडणवीस एक वकील और प्रतिबद्ध आरएसएस सदस्य के रूप में प्रशिक्षित हैं। वह नागपुर दक्षिण पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से लगातार छह बार जीत चुके हैं। यह उनकी स्थानीय लोकप्रियता का सबूत है।
• 54 साल के देवेंद्र फडणवीस ने बचपन में इंदिरा कॉन्वेंट में पढ़ाई जारी रखने से इनकार कर दिया था। उन्होंने उस स्कूल को अस्वीकार कर दिया जिसका नाम प्रधानमंत्री के नाम पर रखा गया था। बाद में फडणवीस ने सरस्वती विद्यालय में स्थानांतरित होने का फैसला लिया था। इसके बाद आगे चलकर एबीवीपी से जुड़े। बाद में भारत के सबसे अमीर राज्य के मुख्यमंत्री बने। इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल न जाने के पीछे की वजह का खुलासा खुद फडणवीस ने किया था। तब उन्होंने कहा था कि वह जब पहली क्लास में पढ़ते थे तब आपातकाल के दौरान इंदिरा जी ने उनके पिता को 2 साल जेल में रखा था। फडणवीस ने कहा था कि पांच साल का बच्चा होने के नाते मुझे तो यही पता था कि मेरे पिता को जेल में डालने वाली इंदिरा जी हैं। इसीलिए मैंने घर आकर मां से कहा जिस इंदिराजी ने मेरे पिताजी को जेल में डाला उस स्कूल में नहीं जाऊंगा।
• फडणवीस 27 वर्ष की आयु में नागपुर के सबसे युवा महापौर बने थे। • 2024 के चुनावों में फडणवीस ने आरएसएस के संयुक्त महासचिव अतुल लिमये के साथ मिलकर मतदाताओं से जुड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया। फडणवीस ने मौलाना सज्जाद नोमानी की ‘वोट जिहाद’ टिप्पणी के जवाब में ‘धर्म युद्ध’ का स्लोगन दिया, जो काम कर गया।
• फडणवीस की नेतृत्व शैली ने उन्हें व्यापक सम्मान दिलाया। 2014 में मुख्यमंत्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल मराठा आरक्षण मुद्दे जैसी प्रमुख चुनौतियों को संबोधित करने, मुंबई-नागपुर समृद्धि महामार्ग जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को शुरू करने और पुलिस सुधारों की शुरुआत करने के लिए जाना जाता था। फडणवीस ने भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए सिंचाई घोटाले को उजागर करके अपनी साख को और मजबूत किया। मुंबई मेट्रो, मुंबई कोस्टल रोड, अटल सेतु-मुंबई को न्हावा शेवा से जोड़ने वाला 22 किलोमीटर लंबा पुल-कुछ महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं हैं जो उनकी दृष्टि थीं।
नैरेटिव का निकाला तोड़
महाराष्ट्र के राजनीतिक विश्लेषक दयानंद नेने कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी के लिए वापसी आसान नहीं थी। बीजेपी ने दलितों और आदिवासियों तक पहुंचने के लिए संविधान सम्मान यात्रा निकाली और यह सुनिश्चित किया कि पिछड़े समुदाय उसका समर्थन करते रहें। बीजेपी ने मराठा मतदाताओं को लुभाने के लिए इस कहानी का खंडन किया कि पार्टी समुदाय को आरक्षण देने के खिलाफ है। जब भाजपा सत्ता में थी तो मराठों को दो बार आरक्षण दिया गया था।
नेने कहते हैं विधानसभा चुनावों की जीत ने फडणवीस का कद कई गुना बढ़ा दिया है।