ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।यूनिवर्सिटी ऑफ नेवादा, लास वेगास (यूएनएलवी) की एक नई रिसर्च ने डायबिटीज़ को लेकर एक चौंकाने वाला पहलू सामने रखा है। इस स्टडी के मुताबिक, डायबिटीज का असर सिर्फ दिल या शरीर पर नहीं बल्कि हमारे दिमाग पर भी गहरा पड़ता है। यह स्थिति लंबे समय में अल्जाइमर जैसी गंभीर मानसिक बीमारियों का रूप भी ले सकती है।
इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि डायबिटीज ब्रेन की नर्व सेल्स को इस तरह से बदल देती है, जिससे याददाश्त, सोचने की क्षमता और एकाग्रता प्रभावित हो सकती है। आसान शब्दों में कहें, तो डायबिटीज से ‘दिमाग की वायरिंग’ ही बदल सकती है, जो चिंता का विषय है।
हालांकि यह रिसर्च अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इससे यह जरूर साफ होता है कि डायबिटीज को केवल ब्लड शुगर से जुड़ी बीमारी मानना सही नहीं है। समय रहते सही लाइफस्टाइल, खानपान और जागरूकता अपनाकर हम इन जटिल प्रभावों से बच सकते हैं।
डायबिटीज और दिमाग के बीच छुपा हुआ रिश्ता
अब तक डायबिटीज को हम सिर्फ ब्लड शुगर या दिल की बीमारी से जोड़ते थे, लेकिन यूएनएलवी की इस रिसर्च ने यह साफ कर दिया है कि इसका असर ब्रेन हेल्थ पर भी होता है। शुगर लेवल्स के लगातार असंतुलित रहने से दिमाग की कोशिकाएं सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती हैं।
ब्रेन रिवायरिंग क्या होती है और क्यों है यह खतरनाक?
डॉ. आदित्य गुप्ता, निदेशक – न्यूरोसर्जरी और साइबरनाइफ, आर्टेमिस अस्पताल, गुरुग्राम,के अनुसार ब्रेन रिवायरिंग का मतलब है—दिमाग की नर्व सेल्स और उनके कनेक्शन में बदलाव। डायबिटीज के कारण ब्रेन की संरचना और फंक्शनिंग दोनों बदल सकते हैं। यह स्थिति याददाश्त में कमी, सोचने में दिक्कत और अल्जाइमर जैसी बीमारियों की शुरुआत बन सकती है।
कैसे बढ़ता है अल्जाइमर का खतरा
इस स्टडी में यह भी बताया गया कि डायबिटीज मस्तिष्क में ऐसे प्रोटीन जमा होने को बढ़ावा देती है जो अल्जाइमर के रोगियों में देखे जाते हैं। यानी जिन लोगों को लंबे समय से डायबिटीज है, उनमें कॉग्निटिव डिसऑर्डर होने की आशंका ज्यादा रहती है।
डायबिटीज में कैसे रखें दिमाग को सुरक्षित
अगर आप डायबिटिक हैं या प्री-डायबिटिक हैं, तो समय रहते सावधानी बरतना ज़रूरी है। हेल्दी डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज, और मेंटल वर्कआउट (जैसे मेडिटेशन और पज़ल्स) से आप अपने दिमाग को एक्टिव और सेफ रख सकते हैं।
भविष्य की दिशा: इलाज या बचाव?
फिलहाल इस ब्रेन रिवायरिंग को रोकने का कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च लगातार इस दिशा में काम कर रही है। तब तक जागरूकता ही सबसे बड़ा उपाय है। डायबिटीज को कंट्रोल में रखना ही सबसे बेहतर बचाव है।































