डा. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। प्लास्टिक कचरा पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है पर चीन के वैज्ञानिकों ने कचरा स्थलों से ऐसे एंजाइम ढूंढ़ लिए हैं जो प्लास्टिक को नष्ट करने में मदद कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि यही रफ्तार रही तो 2050 तक धरती पर करीब 1,100 करोड़ मीट्रिक टन प्लास्टिक जमा हो सकता है लेकिन ये नए एंजाइम इस समस्या को हल करने में उपयोगी हो सकते हैं। शोध चीन के अनहुई विवि और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने किया है और इसके नतीजे पीएनएएस नेक्सस नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार एंजाइम और सूक्ष्मजीवों की मदद से प्लास्टिक को तोड़ना और पुनः उपयोग में लाना एक कारगर उपाय हो सकता है। अध्ययन में लियान सोंग और उनकी टीम ने मेटाजीनोमिक्स और मशीन लर्निंग तकनीकों की सहायता ली। इनकी मदद से उन्होंने दुनियाभर के लैंडफिल से प्लास्टिक को तोड़ने वाले बायोकैटेलिटिक एंजाइम इकट्ठा किए। बायोकैटेलिटिक एंजाइम प्राकृतिक प्रोटीन होते हैं। ये जो प्लास्टिक को छोटे और सरल अणुओं में तोड़ते हैं। इससे प्लास्टिक को तेजी से नष्ट करना और रिसायकल करना संभव होता है।
प्लास्टिक में मौजूद पॉलिमर को
सूक्ष्म कणों में बदल देते हैं एंजाइम
शोधकर्ताओं का मानना है कि इन एंजाइमों में प्लास्टिक नष्ट करने की बड़ी क्षमता है। ये एंजाइम, प्लास्टिक में मौजूद पॉलिमर को छोटे-छोटे मोनोमर्स में तोड़ते हैं। एक तरह से यह एंजाइम चींटियों के जबड़े की तरह काम करते हैं। कुछ मामलों में ये प्लास्टिक को 24 घंटे से भी कम वक्त में तोड़कर मोनोमर्स में बदल देते हैं। ये एंजाइम, लैंडफिल में जमा हो रहे प्लास्टिक कचरे को कम करने में मदद करते हैं और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।
भारत समेत कई देशों से लिए गए नमूने
शोधकर्ताओं ने ये नमूने चीन, इटली, कनाडा, ब्रिटेन, जमैका और भारत से एकत्र किए हैं। शोधकर्ताओं ने 31,989 संभावित प्लास्टिक ब्रेकिंग एंजाइम्स को खोजने के लिए मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग किया। इसके बाद 712 एंजाइमों का गहराई से अध्ययन किया गया ताकि उनके कार्य और उनसे जुड़े सुक्ष्मजीवों को समझा जा सके।