विनोद शील
नई दिल्ली। ‘संविधान अपनाए जाने के 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा’ पर संसद के दोनों सदनों- लोकसभा और राज्यसभा में व्यापक और गरमा-गरम चर्चा सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच हुई। चर्चा संविधान, संशोधन, कांग्रेस, महिलाओं के उत्थान को लेकर केंद्रित रही। चर्चा में भाग लेते हुए अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मेादी ने विकसित भारत के लिए रोडमैप का खाका खींचते हुए नागरिक कर्तव्यों से लेकर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ तक के लक्ष्य का जिक्र किया। उन्होंने कहा, भारत के भविष्य के लिए इस सदन के सामने इस पवित्र मंच से मैं देशवासियों के समक्ष 11 संकल्प रखना चाहता हूं। सभी नागरिक और सरकार अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें। हर क्षेत्र और समाज को विकास का समान लाभ मिले, ‘सबका साथ, सबका विकास’ हो। इसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, आरक्षण मिलता रहे और यह धर्म के आधार पर न हो, जैसे संकल्प भी शामिल हैं।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने कहा, भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए और भ्रष्टाचारियों की सामाजिक स्वीकार्यता खत्म हो। देश के कानूनों और परंपराओं के पालन में देश के नागरिकों को गर्व का भाव जागृत हो। गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिले और देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व हो। देश की राजनीति को परिवारवाद से मुक्त कर लोकतंत्र को सशक्त बनाया जाए।
संविधान का सम्मान हो
पीएम मोदी ने कहा, संविधान का सम्मान हो और राजनीतिक स्वार्थ के लिए उसे हथियार न बनाया जाए। संविधान की भावना के प्रति समर्पण रखते हुए जिन वर्गों को संविधान के तहत आरक्षण मिल रहा है, वह जारी रहे लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण न दिया जाए। महिलाओं के नेतृत्व में विकास यानी वूमेन लेड डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी जाए। राज्य के विकास के माध्यम से राष्ट्र का विकास, हमारा ‘विकास का मंत्र’ हो। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का लक्ष्य सर्वोपरि हो।
संविधान पर चर्चा के जवाब के अंत में पीएम मोदी ने जो 11 संकल्प गिनाए, वे देश की जनता के साथ विपक्षी दलों को सरकार की सोच बताने के लिए पर्याप्त थे। भ्रष्टाचार मिटाना तो पीएम मोदी के एजेंडे में शुरू से रहा है, लेकिन उन्होंने भ्रष्टाचारी की सामाजिक स्वीकार्यता नहीं होने की बात कहकर यह संदेश भी दे दिया है कि राजनीति के अपराधीकरण पर आने वाले समय में कुछ कदम उठ सकते हैं। विपक्षी दलों की ओर से एजेंसी के दुरुपयोग को लेकर जो भी आरोप लगाए जाते हों, उसकी गति बरकरार रहेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि आरक्षण पर कोई आंच नहीं आएगी। वहीं, कांग्रेस को भी कठघरे में खड़ा किया है कि वह ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण से समझौता कर रही है। संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष के नैरेटिव को पीएम मोदी ने खारिज किया और बोले, कांग्रेस के कार्यकाल में संशोधन व्यक्तिगत और दलीय हित के लिए हुए।
2014 से हमारी सरकार ने देश की एकता व अखंडता के लिए काम किया है।
मोदी ने भाषण में जहां यह साबित करने की कोशिश की कि कांग्रेस संविधान की मर्यादाओं को कभी सम्मान नहीं दे सकती है, वहीं उदाहरणों के साथ कहा, भाजपा शासन में जो कुछ हुआ और हो रहा है वह संविधान की मूल भावना के अनुरूप है। संविधान बदलने के विपक्षी नैरेटिव को खारिज करते हुए कहा, संविधान में सबसे अहम देश की एकता, अखंडता व जनहित है। उनकी सरकार के हर काम इसी दिशा में हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस के मुंह में संविधान की अवहेलना का खून लग चुका है। विपक्षी पार्टी अपने माथे से आपातकाल का पाप नहीं मिटा सकती है।
राजनीतिक स्वार्थ के लिए इसे हथियार न बनाएं : पीएम मोदी
कांग्रेस की ओर से वक्ताओं ने मोदी सरकार पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया था। पीएम ने गिनाया कि 1951 में नेहरू की अंतरिम सरकार से लेकर मनमोहन सिंह के कार्यकाल और उसके बाद भी गांधी परिवार के व्यक्ति ने संविधान को तार-तार किया। उन्होंने कहा, नेहरू ने तभी संविधान में संशोधन कर दिया था, जब उनकी सरकार चुनी भी नहीं गई थी। नेहरू ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा, अगर संविधान हमारे रास्ते में आएगा तो उसे भी बदल देना चाहिए। कांग्रेस के इस पाप पर देश चुप नहीं था। राष्ट्रपति डा राजेंद्र प्रसाद ने चेताया, यह गलत हो रहा है। स्पीकर ने भी गलत कहा, पर नेहरू का अपना संविधान चलता था। उन्होंने यह पाप किया। जो विष नेहरू ने बोया था, उसे इंदिरा ने भी 1975 में आगे बढ़ाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान बदलकर संसद की मर्जी को सर्वोपरि कर दिया। कोर्ट के पंख काट दिए। संविधान के 25 साल हुए तो इंदिरा ने 1975 में आपातकाल लगाकर सभी की स्वतंत्रता छीन ली। देश को जेल बना दिया गया। कांग्रेस इस पाप को नहीं ‘मिटा सकती। राजीव गांधी आए तो शाहबानो को जो अधिकार सुप्रीम कोर्ट से मिला, वोट बैंक की खातिर उसे भी छीन लिया। मनमोहन सिंह सरकार के ऊपर असंवैधानिक राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को बिठा दिया। पीएम रहते मनमोहन ने माना कि उनकी प्रतिबद्धता पार्टी के लिए है। राहुल का नाम लिए बिना कहा, मनमोहन की कैबिनेट ने जो फैसला लिया था, वह उनका संवैधानिक अधिकार था लेकिन एक अहंकारी ने उस कैबिनेट के फैसले को फाड़कर बता दिया कि उनके लिए संविधान कुछ नहीं है।
पौने दो घंटे के वक्तव्य में परिवारवादी राजनीति पर फिर किया प्रहार
पौने दो घंटे के अपने वक्तव्य में पीएम मोदी ने परिवारवादी राजनीति पर फिर प्रहार करते हुए दोहराया कि गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के करीब एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है। मोदी ने देश की एकता को राजग सरकार की प्राथमिकता बताया और कहा कि अनुच्छेद बाधा बना हुआ था। उसे हटा दिया। एकता को मजबूती देने के लिए ही वन नेशन वन टैक्स, वन नेशन वन राशन कार्ड, वन नेशन वन ग्रिड एवं वन नेशन वन हेल्थ कार्ड की व्यवस्था की। देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया। मातृभाषा की अहमियत स्वीकारी।
पीएम मोदी के बिंदुवार 11 संकल्प
1. सभी नागरिक और सरकार अपने-अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें।
2. हर क्षेत्र और समाज को विकास का समान लाभ मिले, ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना बनी रहे।
3. भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएं और भ्रष्टाचारियों की सामाजिक स्वीकार्यता समाप्त हो।
4. देश के कानूनों और परंपराओं के पालन में गर्व का भाव जागृत हो।
5. गुलामी की मानसिकता से मुक्ति मिले और देश की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व किया जाए।
6. राजनीति को परिवारवाद से मुक्त कर लोकतंत्र को सशक्त बनाया जाए।
7. संविधान का सम्मान हो और राजनीतिक स्वार्थ के लिए उसे हथियार न बनाया जाए।
8. जिन्हें संविधान के तहत आरक्षण मिल रहा है, वह जारी रहे, लेकिन धर्म के आधार पर आरक्षण न दिया जाए।
9. महिलाओं के नेतृत्व में विकास यानी वूमेन लेड डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी जाए।
10. राज्य के विकास के माध्यम से राष्ट्र के विकास को सुनिश्चित किया जाए।
11. ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का लक्ष्य सर्वोपरि।