ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बड़ा एलान किया। उन्होंने निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों के लिए दिवाली बोनस की घोषणा की। शिंदे ने कहा कि बीएमसी (बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन) कर्मचारियों को भी 29 हजार रुपये बोनस मिलेगा। खास बात यह है कि इस साल राशि पिछली बार हुई घोषणा की तुलना में तीन हजार रुपये ज्यादा है। सरकार ने यह भी कहा है कि किंडरगार्टन (केजी) कक्षा के बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों और आशा वर्कर्स को भी बोनस का लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि इससे पहले राज्य सरकार मदरसा शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का एलान भी कर चुकी है।
सरकार की घोषणा इसलिए भी अहम है क्योंकि विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही पूरे राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अब किसी भी तरह के सरकारी लाभ वाले एलान पर पाबंदी रहेगी। हालांकि, कुछ अति विशिष्ट परिस्थितियों में निर्वाचन आयोग की मंजूरी के बाद सरकार पैसे जारी कर सकती है।
इससे पहले बीते 11 अक्तूबर को राज्य सरकार ने मदरसा शिक्षकों का पारिश्रमिक बढ़ाने का एलान किया। सीएम शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य की कैबिनेट ने डीएड डिग्री वाले मदरसा शिक्षकों का मानदेय 6,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये और बीए, बीएड और बीएससी डिग्री वाले शिक्षकों का वेतन 8,000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये करने का भी फैसला किया।
38 दिन बाद नई सरकार का गठन
महाराष्ट्र में सियासी गतिविधियों के तेज होने और सरकार के हालिया फैसलों के बीच यह जानना भी दिलचस्प है कि अगले 38 दिनों के बाद राज्य में नई सरकार का गठन होगा। चुनाव आयोग ने 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा करने का एलान कर दिया है।
प्रदेश की राजनीति में फिलहाल मुकाबला रोचक इसलिए भी है क्योंकि नेताओं-विधायकों का पाला बदलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। फिलहाल सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना-भाजपा और अजित पवार गुट की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) महायुति सरकार में शामिल है।
सियासी समीकरण
महाराष्ट्र में इस बार सियासी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने के आसार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि लगभग 25 महीने पहले जून, 2022 में महाविकास अघाड़ी सरकार गिरी थी। इसके बाद भाजपा समर्थित सरकार बनी। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दो-फाड़ होने के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव होंगे। महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार के पास 202 विधायकों का समर्थन है। 102 विधायकों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। अजीत पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 40 विधायक हैं। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 18 विधायक हैं। 14 निर्दलीय विधायकों ने भी एनडीए सरकार को समर्थन दिया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को पांच अन्य छोटे दलों का समर्थन भी हासिल है।
विपक्ष कितना मजबूत
इसके अलावा विपक्षी खेमे महाविकास अघाड़ी में कुल 71 विधायक हैं। विपक्ष में कांग्रेस 37 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है।
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना के 16 विधायक हैं। वरिष्ठ राजनेता शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 12 विधायक हैं। समाजवादी पार्टी के दो, सीपीआईएम और पीडब्लूपीआई के एक-एक विधायक हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के दो विधायक भी विपक्षी खेमे में हैं। 15 विधानसभा सीटें खाली हैं।
जनप्रतिनिधियों की अग्निपरीक्षा
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी विधानसभा महाराष्ट्र है। 2019 में हुए पिछले आम चुनावों के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में भी मुख्यमंत्री बदलने की नौबत आई। ऐसे में अब दोनों राज्यों के राजनीतिक चौसर पर तमाम जनप्रतिनिधियों की अग्निपरीक्षा होगी।