ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली।बदलती दुनिया में लड़ाकू विमान सिर्फ पायलटों की काबिलियत पर ही निर्भर नहीं रहते। अब, विमानों में ऐसी तकनीकें लगाई जा रही हैं जो पायलटों की मदद करती हैं और भविष्य में विमान खुद भी कई काम करने में सक्षम होंगे। भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। अपने स्वदेशी तेजस विमान की सफलता के बाद, भारत अब पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एएमसीए बना रहा है। इस विमान को न केवल रडार से छिपने की क्षमता दी गई है, बल्कि इसे इतना आधुनिक बनाया जा रहा है कि यह अपने आप ही कई बड़े और मुश्किल काम कर सके।
डीआरडीओ बना रहा ‘ई-पायलट’
डीआरडीओ की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी ने एएमसीए एमके-II लड़ाकू विमान के लिए एक खास ‘ई-पायलट’ सिस्टम बनाने पर काम शुरू किया है। यह एक ऐसा डिजिटल को-पायलट होगा जो पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करेगा। पारंपरिक दो सीटों वाले लड़ाकू विमानों में, दूसरा पायलट मिशन से जुड़े काम करता है। लेकिन एएमसीए एक सिंगल-सीट विमान होगा और दूसरा पायलट जो काम करता है, वह सब यह एआई सिस्टम संभालेगा।
कैसे काम करेगा एआई-पायलट?
यह एआई-आधारित ‘ई-पायलट’ कई तरह के काम करेगा, जिससे पायलट का बोझ बहुत कम हो जाएगा और मिशन की सफलता की संभावना बढ़ जाएगी। यह पायलट को महत्वपूर्ण फैसले लेने में मदद करेगा, जैसे कि हमला कब करना है या कहां से करना है। यह दुश्मन के खतरों को बहुत तेजी से पहचानेगा और पायलट को जानकारी देगा। साथ ही, यह सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा रास्ता खुद चुनेगा। वहीं, यह मुश्किल परिस्थितियों में भी लड़ने की बेहतर रणनीति बनाने में मदद करेगा। इतना ही नहीं, यह सिस्टम पायलट को तुरंत जानकारी देगा, जिससे पायलट को हर समय यह पता रहेगा कि उसके आसपास क्या हो रहा है।
भविष्य के लिए भारत की तैयारी
एएमसीए एमके-II में यह एआई तकनीक सिर्फ एक शुरुआत है। यह भविष्य के लिए एक प्लेटफॉर्म भी होगा, जहां भारत छठवीं पीढ़ी की रक्षा तकनीकों पर काम कर सकेगा। इसमें लॉयल विंगमैन ड्रोन और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध प्रणाली जैसी चीजें शामिल हैं।
इसका मतलब है कि भविष्य में एएमसीए अकेले नहीं उड़ेगा, बल्कि अपने साथ कई छोटे ड्रोन को भी लेकर उड़ेगा, जो उसकी मदद करेंगे। यह कदम भारत को पूरी तरह से मानव रहित और ऑटो एआई लड़ाकू विमान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।