ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। नीति आयोग के सदस्य और टॉप मिसाइल साइंटिस्ट डॉ. वीके सारस्वत ने कहा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) का प्रदर्शन शानदार रहा। डीआरडीओ की तरफ से विकसित स्वदेशी सैन्य हथियारों ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डीआरडीओ को ध्वस्त करने की सभी कोशिशों को हमेशा के लिए दफना दिया जाना चाहिए।
क्या बोले मिसाइल साइंटिस्ट
उन्होंने कहा कि 5,000 वैज्ञानिकों वाले डीआरडीओ का मनोबल तब से प्रभावित हुआ जब दो उच्चस्तरीय समितियों ने इसे बड़े स्तर पर पुनर्गठित करने की कोशिश की। दरअसल साल 2016 में डीआरडीओ की समीक्षा के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव डॉ. पी रामा राव की अध्यक्षता में एक सरकारी समिति का गठन किया गया था। इस वजह से अलग-अलग महानिदेशकों की अध्यक्षता में सात प्रौद्योगिकी डोमेन-आधारित क्लस्टर बनाए गए। डॉ. सारस्वत का कहना है कि इससे नौकरशाही और बढ़ गई।
डॉ. सारस्वत ने बताया कि इसके बाद साल 2023 में डीआरडीओ में सुधार के लिए एक 9 सदस्यीय समिति गठित की गई। इस समिति की अध्यक्षता डॉ. के. विजय राघवन ने की, जो कि बेसिक साइंस रिसर्चर थे। हालांकि उनकी रिपोर्ट को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें डीआरडीओ को विघटित करने और इसकी यूनिट्स को अन्य मंत्रालयों को सौंपने का सुझाव दिया गया था। यह एक निरर्थक अभ्यास था।
आज दुनिया देख रही डीआरडीओ की क्षमता
डॉ. सारस्वत ने मीडिया के समक्ष कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आधुनिक हथियार सिस्टम के निर्माण में डीआरडीओ की क्षमता और योग्यता दुनिया को दिखा दिया। आकाश, ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों की सफलता, पाकिस्तानी लक्ष्यों को सटीक रूप से भेदना, चीनी विमानों को निशाना बनाना, यह दिखाता है कि डीआरडीओ के पास ऐसा सिस्टम बनाने की क्षमता और योग्यता है। डीआरडीओ के पास क्षमता और योग्यता दोनों हैं। जो लोग ये कहते हैं कि डीआरडीओ प्रदर्शन नहीं कर रहा है, आज इसकी हथियार प्रणाली के प्रदर्शन से ये बातें पूरी तरह से गलत साबित हुई हैं।
सवाल उठाने वालों को मिला जवाब
डॉ. सारस्वत ने कहा कि एक समय था जब कुछ आलोचक डीआरडीओ को रक्षाहीन अनुसंधान और बेकार संगठन कहते थे लेकिन उसके शानदार प्रदर्शन से आलोचकों को जवाब मिल गया है।