पुणे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में मंदिर-मस्जिद के नए मुद्दे उठाने पर नाराजगी जाहिर की थी। अब भागवत ने मौजूदा शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि शिक्षा प्रणाली को सीखने में बाधा नहीं बल्कि सहयोगी और परिणामपरक के रूप में काम करना चाहिए। भागवत ने जोर देकर कहा कि सिस्टम को बदलते समय के साथ तालमेल बिठाते हुए बुनियादी मूल्यों में निहित रहना भी जरूरी है।
शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं
बानेर में लोकसेवा ई स्कूल का उद्घाटन करने के दौरान आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं है, बल्कि अच्छे इंसान बनाने का एक व्रत है। शिक्षा प्रणाली को सीखने में बाधा नहीं बल्कि सुविधा प्रदान करने के स्रोत के रूप में काम करना चाहिए। भागवत ने कहा कि हमें आधुनिक और प्राचीन को एक साथ रखने की जरूरत है, जिसके लिए सभी को योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा को एक ढांचे तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि समग्र होना चाहिए जिसे पूरे समाज को संरक्षित करना चाहिए।
छात्रों को सशक्त बनाए शिक्षा
मोहन भागवत ने कहा कि शिक्षा प्रणाली को केवल नियामक के रूप में काम करने के बजाय छात्रों को सशक्त बनाने के साधन के रूप में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को सुचारू संचालन सुनिश्चित करने पर केंद्रित होनी चाहिए, न कि क्या करें और क्या न करें लागू करने पर।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सराहना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि इसे भले ही हाल ही में पेश किया गया हो, लेकिन इस तरह की प्रणाली के लिए चर्चा कई वर्षों से चल रही थी। उन्होंने कहा कि कई स्कूल लंबे समय से मूल्य-आधारित शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से लागू की जाएगी और यह देश को वांछित सपने की ओर ले जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें समय के अनुसार खुद को बदलने की जरूरत है, लेकिन ऐसा करते समय हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने मूल मूल्यों से जुड़े रहें।