ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा है कि पुलिस के लोग प्रमोशन और पैसे के लिए एनकाउंटर कर रहे हैं। मैं पहले भी पुलिस कर्मियों को फर्जी मुठभेड़ों पर आगाह कर चुका हूं। गाजीपुर के एक मामले में घटना के 22 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई गई थी। पुलिस अधिकारी अभी भी नहीं चेते तो बाल-बच्चे तक रोयेंगे। नैतिकता का तकाजा है कि पुलिस स्वयं अपराधी न बने।
एक पोस्ट में मैंने और पहले लिखा था कि किस तरह जनपद सीतापुर की एक मुठभेड़ के मामले में घटना के 25 वर्ष बाद पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और एक-एक करके कई पुलिस अधिकारी केन्द्रीय कारागार बरेली में मरते रहे लेकिन अदालतों से उनकी जमानत नहीं हुई। लगभग ढाई सौ पुलिस अधिकारी जेलों में सड़ रहे हैं इन्हें कोई मदद करने वाला या बचाने वाला नहीं होता है।
पीलीभीत जनपद में खूंखार आतंकवादियों को मुठभेड़ में मारने वाले 45 पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद की सजा हुई। सरकार से बार-बार गुहार लगाने के बाद भी इन बूढ़े और रिटायर्ड पुलिस अधिकारियों की सजा माफ नहीं की गई। हाईकोर्ट से भी जमानत नहीं हुई।