नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। यह संबोधन ऐसे समय हुआ जब भारत का संबंध अमेरिका के साथ तनावपूर्ण चल रहा है। पीएम मोदी ने जीएसटी रिफॉर्म को लेकर देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि जीएसटी बचत उत्सव शुरू होने जा रहा है। इस मौके पर हर देशवासी का मुंह मीठा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकसित भारत के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, हमें आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलना होगा और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी हमारे एमएसएमईज पर भी है। देश के लोगों को जो चाहिए, जो हम अपने देश में बना सकते हैं, वो हमें यहीं देश में बनाना चाहिए। जीएसटी दरों में कमी और नियमों व प्रक्रियाओं के सरलीकरण से हमारे एमएसएमईज, लघु उद्योगों और कुटीर उद्योगों को बहुत लाभ होगा। उनकी बिक्री बढ़ेगी, और उन्हें कम टैक्स देना होगा, यानी उन्हें दोहरा लाभ भी होगा। जैसे स्वदेशी के मंत्र से देश की आजादी को बल मिला। वैसे ही स्वदेशी के मंत्र से ही देश की समृद्धि को भी बल मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी बोले एमएसएमईज को होगा डबल फायदा
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बचत उत्सव से घर बनाना, इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना, स्कूटर या कार लेना और यात्रा करना सब आसान और सस्ता हो जाएगा। जीएसटी कम होने से माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमईज) को भी डबल फायदा होगा। उनकी बिक्री बढ़ेगी और टैक्स का बोझ कम होगा। यही देश की समृद्धि का आधार हैं।
राज्य सरकारों से आग्रह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरा सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी के इस अभियान के साथ अपने राज्यों में उत्पादन से जुड़ें और निवेश के लिए माहौल बनाएं। भारत का हर राज्य विकसित होगा जिससे भारत विकसित होगा।
देश को लोगों की 2.5 लाख करोड़
रुपये की बचत होगी
पीएम ने कहा- हम ‘नागरिक देवो भव:’ के मंत्र पर चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं और इसका प्रतिबिंब हम अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों में देख सकते हैं। अगर हम आयकर छूट और जीएसटी छूट को मिला दें तो एक साल में लिए गए फैसलों से देश के लोगों को 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी और इसलिए मैं कहता हूं, यह बचत उत्सव है।
अधिकतर रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंंगी
पीएम ने कहा कि नए रिफॉर्म में अब केवल 5% और 18% टैक्स स्लैब होंगे। इसका मतलब है कि अधिकतर रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंगी। खाने-पीने की चीज़ें, दवाइयां, साबुन, ब्रश, पेस्ट, स्वास्थ्य और जीवन बीमा, ऐसी कई चीजें और सेवाएं या तो टैक्स-फ्री होंगी या फिर सिर्फ 5% टैक्स देना होगा। जिन चीजों पर पहले 12% टैक्स लगता था, उनमें से 99% चीजें अब 5% टैक्स के स्लैब में आ गई हैं।
सुधार एक सतत प्रक्रिया: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि सुधार एक सतत प्रक्रिया है। जैसे-जैसे समय बदलता है और देश की जरूरतें बदलती हैं, अगली पीढ़ी के सुधार भी उतने ही आवश्यक हैं। ये नए जीएसटी सुधार देश की वर्तमान जरूरतों और भविष्य के सपनों को ध्यान में रखते हुए लागू किए जा रहे हैं।
पिछले 11 वर्षों में देश के 25 करोड़
लोगों ने गरीबी को मात दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश के 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को मात दी है। गरीबी से उबरकर 25 करोड़ लोगों का एक बड़ा समूह नव-मध्यम वर्ग आज देश में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस नव-मध्यम वर्ग की अपनी आकांक्षाएं और सपने हैं। इस वर्ष सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त करके एक तोहफा दिया है और स्वाभाविक रूप से जब 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट मिलती है, तो मध्यम वर्ग के जीवन में एक गहरा बदलाव आता है, जिससे जीवन में बहुत सरलता और सुविधा आती है। अब गरीब, नव-मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग को दोहरा लाभ मिल रहा है। जीएसटी में कमी से देश के नागरिकों के लिए अपने सपने पूरे करना आसान हो जाएगा।
दशकों से हमारे देश के लोग और व्यापारी विभिन्न करों के जाल में उलझे हुए थे
पीएम मोदी ने कहा कि जब भारत ने 2017 में जीएसटी सुधार की शुरुआत की तो इसने एक पुराने इतिहास को बदलने और एक नए इतिहास के निर्माण की शुरुआत की। दशकों से हमारे देश के लोग और हमारे देश के व्यापारी विभिन्न करों के जाल में उलझे हुए थे। ऑक्ट्रॉय, प्रवेश कर, बिक्री कर, उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर , ऐसे दर्जनों कर हमारे देश में थे। एक शहर से दूसरे शहर में सामान भेजने के लिए हमें अनगिनत जांच चौकियों को पार करना पड़ता था।
पीएम मोदी ने किया 2014 की मुश्किलों का किया जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे याद है, 2014 में जब देश ने मुझे प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी थी, उस शुरुआती दौर का एक दिलचस्प वाकया एक विदेशी अखबार में छपा था। उसमें एक कंपनी की मुश्किलों का जिक्र था। कंपनी का कहना था कि अगर उसे अपना माल बेंगलुरु से 570 किलोमीटर दूर हैदराबाद भेजना हो, तो यह इतना मुश्किल होता है मानो कंपनी पहले बेंगलुरु से अपना माल यूरोप भेजे और फिर वही माल यूरोप से हैदराबाद भेजे। साथियों, उस समय टैक्स और टोल की जटिलताओं के कारण यही स्थिति थी। उस समय, लाखों देशवासियों के साथ-साथ ऐसी लाखों कंपनियों को भी तरह-तरह के टैक्स के जाल में रोजाना परेशानियों का सामना करना पड़ता था। एक शहर से दूसरे शहर सामान पहुंचाने में जो बढ़ा हुआ खर्च होता था, उसका बोझ गरीब जनता पर पड़ता था, और आप जैसे ग्राहकों पर। देश को इस स्थिति से मुक्त कराना ज़रूरी था।
ये सुधार भारत की विकास गाथा को गति देंगे, व्यापार को सरल बनाएंगे, निवेश को और अधिक आकर्षक बनाएंगे और विकास की दौड़ में हर राज्य को बराबर का भागीदार बनाएंगे।