ब्लिट्ज ब्यूरो
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि अनादिकाल से चली आ रही भारतीय परंपरा में ज्ञान प्राप्ति के अनेक मार्ग हैं। सभी का समान महत्व है। केवल मंजिल एक है। वह है- सनातन व भारत का कल्याण।
सनातन और भारत के कल्याण में ही सबका कल्याण निहित है। जिन कारणों से सनातन को नुकसान पहुंच सकता है, उसे लेकर गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। सनातन को नुकसान पहुंचने पर मानव के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जाएगा।
मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवैद्यनाथ के पुण्यतिथि समारोह के उपलक्ष्य मेंं आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा से सनातन धर्मावलंबियों ने जीवन की वास्तविकता को खुद तो समझा ही है, दुनिया को भी समझाया है। यह ऐसी ज्ञान परंपरा है जो बिना रुके, बिना झुके हर काल-परिस्थिति में निरंतर जारी है। जीवन के वास्तविक ज्ञान के लिए, अहंकार से मुक्ति के लिए और जीवन की नश्वरता का अनुभव कराने के लिए भागवत पुराण जैसी कथाओं की परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। योगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा निजी स्वार्थवश होने वाली गति को दुर्गति से बचाने, उत्थान की ओर ले जाने तथा जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करने वाली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरक्षपीठ सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान के समन्वय की पीठ है। सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक धरातल पर उतारकर लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण ही गोरक्षपीठ का अभीष्ट है। महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने लोक कल्याण से राष्ट्र कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
गोरक्षपीठ ने समाज को दिखाई
सही दिशा : राघवाचार्य
कथा के शुभारंभ अवसर पर स्वामी राघवाचार्य ने कहा कि जब-जब सनातन धर्म पर संकट आया तब-तब गोरक्षपीठ ने सभी संत समाज को एकत्रित कर समाज को सही दिशा दिखाई है। श्रीअयोध्याधाम से आए स्वामी अवधेश दास ने कहा कि मनुष्य को मनुष्य बनाने का संदेश सनातन धर्म देता है। गोरक्षपीठ सनातन धर्म के संवर्धन का कार्य करती चली आ रही है। स्वामी रामानन्दाचार्य ने कहा अपने आचार्य व गुरुओं के प्रति श्रद्धा रखना हमारी भारतीय परंपरा रही है। इस परंपरा का गोरक्षपीठ ने अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
श्रीमद्भागवत महापुराण की पोथी शोभायात्रा
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के शुभारंभ से पूर्व गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में मुख्य मंदिर से कथा स्थल तक भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। बैंडबाजे और शंखध्वनि की गूंज के बीच निकली शोभायात्रा वेदपाठी विद्यार्थियों के वैदिक मंत्रोच्चार से भव्यता के चरम पर पहुंच गई। शोभायात्रा के कथा स्थल पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ ने अखंड ज्योति स्थापित की। पोथी प्रतिष्ठा और कथा व्यास के विराजमान होने के बाद उन्होंने व अन्य यजमान ने व्यासपीठ की पूजा की। इस अवसर पर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, ब्रह्मचारी दासलाल जी महाराज, काशी से आए जगद्गुरु संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ, महंत धर्मदास, रामनाथ, राम मिलन दास, रामलखन दास, गंगादास, भरतदास, रुद्रनाथ, भोलानाथ, मनीष दास, कालीबाड़ी के महंत रवींद्र दास आदि मौजूद रहे। पूजन कार्य संस्कृत विद्यापीठ के वेदाचार्य डा. रंगनाथ त्रिपाठी ने कराया। कार्यक्रम का संचालन डा. श्रीभगवान सिंह ने किया।
जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ती
है श्रीमद्भागवत कथा
श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के पहले दिन कथाव्यास स्वामी राम दिनेशाचार्य ने कहा कि मानव जीवन में सिर्फ दो आयाम प्राप्त हो जाएं, एक सतगुरु दूसरा किसी ग्रंथ का आश्रय मिल जाए तो जीवन धन्य हो जाता है। भगवान के द्वारा कही गई कथा ही भागवत कथा है, जिसको परम भागवत शुकदेव जी परीक्षित को सुनाते हैं।