ब्लिट्ज ब्यूरो
ग्रेटर नोएडा। कॉमर्शियल डीजल-पेट्रोल वाहनों के पंजीकरण समाप्त होने पर उनमें इलेक्टि्रक सिस्टम लगवाकर अब चालक वाहन के पंजीकरण की अवधि बढ़वा सकते हैं। नॉलेज पार्क स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर मार्ट में भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो में इस तकनीक को प्रदर्शित किया गया है।
इस तकनीक से कॉमर्शियल वाहनों की पांच वर्ष की पंजीकरण अवधि बढ़ने के साथ-साथ प्रति किलोमीटर पर 10 रुपये की बचत भी होगी। साथ ही बढ़ रहे प्रदूषण में कमी लाई जा सकेगी।
भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो में आईएक्स एनर्जी के नाम शुरू किए गए स्टार्टअप की प्रदर्शनी लगी। स्टार्टअप के पदाधिकारी दिव्य बंसल ने बताया कि कॉमर्शियल डीजल-पेट्रोल वाहनों को इलेक्ट्रानिक में बदलने का शुरू करने का मुख्य मकसद है कि चलने योग्य वाहनों की जीवन रेखा लंबी की जा सके।
10 रुपये प्रति किलोमीटर की बचत
दिव्य बंसल ने बताया कि एक पेट्रोल-डीजल वाले डीसीएम वाहन को इलेक्टि्रक में बदलने का पूरा सिस्टम लगाने में करीब 17.50 लाख रुपये का खर्च आता है। इसी तरह महिंद्रा सुप्रो में छह लाख, बोलेरो पिकअप में साढ़े नौ लाख और टाटा एसीई में छह लाख रुपये की लागत लगती है। इनमें लोडिंग की क्षमता उतनी ही रहती है जितनी कंपनी देती है। सबसे खास बात यह है कि जहां पर डीजल या पेट्रोल से चलने पर इन वाहनों में प्रति किलोमीटर करीब 15 रुपये खर्च आता है तो वहीं इलेक्टि्रक वाहन में बदलने पर मात्र साढ़े चार रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा।