ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव की मांग तेज हो गई है, खासकर बेंगलुरु में होने वाली मीटिंग के बाद कांग्रेस के जी23 समूह ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द बड़े निर्णय नहीं लिए गए तो विकल्प तलाशे जाएंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी किताब में गंभीर सवाल उठाए हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चा कांग्रेस के अंदर बड़े बदलाव की आवाज पिछले कई महीनों से उठ रही है। पार्टी नेतृत्व ने इस बारे में पहले भी कई मौकों पर संकेत दिया है लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक पार्टी में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है लेकिन अब पार्टी के अंदर से बदलाव की आवाज जोर-शोर से उठने लगी है। कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा वर्ग अगले हफ्ते बेंगलुरु में होने वाली मीटिंग का इंतजार कर रहा है। वहां मीटिंग होनी है। उसके तुरंत बाद अगर बदलाव नहीं हुआ तो एक बार फिर से पार्टी का पुराना सिरदर्द जी23 समूह सक्रिय हो सकता है। हालांकि इस बार इस जी23 में दूसरे नेता होंगे।
इन नेताओं का आरोप है कि पार्टी के अंदर फैसले नहीं होने से वर्करों में अब बेचैनी होने लगी है। नेताओं का यह समूह पार्टी को चेतावनी दे रहा है कि अगर अब बड़े फैसले नहीं लिए गए, तो ये वर्कर अपने लिए नया विकल्प तलाशना शुरू कर देंगे। ऐसा हुआ तो पार्टी के लिए आगे की राह और कठिन हो जाएगी। कांग्रेस नेतृत्व को भी इसका अहसास होने लगा है और वह बदलाव का ब्लूप्रिंट जल्द पेश करने की तैयारी में है। दरअसल, बदलाव की सारी प्रक्रिया एक अहम पद पर आकर रुक जा रही है। पार्टी के इस सबसे अहम पद पर किस तरह का बदलाव हो और किसे वहां रखा जाए, यही चुनौती इसमें सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।
नई किताब, नया सिरदर्द
कांग्रेस को नई किताबें अक्सर सिरदर्द देती रही हैं। पार्टी के सीनियर नेता मणिशंकर अय्यर अपनी किताब के साथ सामने आए, जिसमें उन्होंने कई गंभीर सवाल उठाए। हालांकि उनके सवालों की कोई खास चर्चा नहीं हो पाई। पार्टी को उनसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह अपनी किताब में ऐसे सवाल उठाएंगे। अब चर्चा है कि पार्टी के एक और सीनियर नेता अपनी किताब लेकर आ रहे हैं। उसमें काफी राजनीतिक मसाला होने की बात कही जा रही है। पार्टी नेतृत्व किताब का कंटेंट पता लगाने की कोशिश कर रहा है।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे किताब लेकर आ गए थे। इसमें उन्होंने ऐसी बात लिख दी, जिससे भाजपा को कश्मीर में कांग्रेस पर हमला करने का पूरा मसाला मिल गया। 2014 में भी पीएम डॉ. मनमोहन सिंह के सलाहकार की लिखी किताब ने राजनीतिक बवाल मचा दिया था और उससे पार्टी को बहुत नुकसान हुआ था। कांग्रेस के एक नेता ने इस ट्रेंड पर चुटकी लेते हुए कहा कि भाजपा इसलिए अपने नेताओं को लिखने की अनुमति नहीं देती है।
कौन बोले, कौन नहीं
संविधान पर लोकसभा में हुई चर्चा में कांग्रेस की ओर से कौन-कौन स्पीकर भाग लेंगे, इस बारे में पार्टी में अंतिम समय तक दुविधा रही। सबसे बड़ी दुविधा तो इस बात को लेकर थी कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी, दोनों संविधान पर हो रही इस बहस में भाग लें या नहीं। एक वर्ग का मानना था कि एक बहस में दोनों का भाषण न हो लेकिन दूसरा तर्क यह आया कि बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अब तकरीबन हर बहस में भाग लेंगे, ऐसे में इस आधार पर प्रियंका गांधी को दूर रखना सही नहीं होगा। जाहिर है, दूसरे तर्क की जीत हुई और आखिरकार प्रियंका गांधी को बहस में उतारा गया।
दुविधा में सांसद
इन दिनों दो क्षेत्रीय दलों के सांसदों के अगले कदम को लेकर बहुत चर्चा है। एक पार्टी के राज्यसभा सांसदों के बारे में लोकसभा चुनाव के बाद से उलझन है, तो दूसरी पार्टी के लोकसभा सांसदों के बारे में हालिया विधानसभा चुनाव के बाद उलझन बन गई है। इनके बारे में तरह-तरह की चर्चाएं उठ रही हैं और दबे स्वरों में कहा जा रहा है कि मौका मिलने पर वे पाला बदल सकते हैं। इस तरह की चर्चाएं उठने के बाद इन दोनों दलों के नेतृत्व के भी कान खड़े हो चुके हैं।
संसद सत्र के दौरान दोनों दलों के सांसदों को हमेशा एक साथ दिखाने की कोशिश की गई। वे किसी न किसी बहाने उन्हें एक साथ सामने लाया जाता रहा, जिससे संदेश जा सके कि सब साथ हैं और टूट की खबर बेबुनियाद है। लेकिन अंदरखाने की चर्चा के अनुसार ऊपर से भले ही सब ठीक-ठाक दिखाया जा रहा हो, टूट की बात में दम है। दोनों दलों के सांसद अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं और वे अपने लिए तमाम विकल्प टटोल रहे हैं। एक दल के सांसद ने कहा कि वे ऐसे दोराहे पर खड़े हैं जहां उन्हें आगे की राह समझ नहीं आ रही है। उन्होंने माना कि अभी कुछ समझ नहीं आ रहा है और कल जाकर वे क्या कदम उठाएंगे, उन्हें खुद नहीं पता है।