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‘गोल्डन डोम’ बनेगा अमेरिका का कवच

'Golden Dome' will become America's shield
ब्लिट्ज ब्यूरो

वाशिंगटन। डोनाल्ड ट्रंप एक ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाना चाहते हैं जो अमेरिका पर होने वाले किसी भी तरह के हमले को रोक सके। इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खासियत अंतरिक्ष से आने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलों से भी देश को बचाने की होगी। डोनाल्ड ट्रंप का ये ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसमें कई सौ अरब डॉलर से ज्यादा खर्च हो सकते हैं। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अब धरती के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क के हाथों में इस महाविशालकाय प्रोजेक्ट की कमान दी गई है। अब एलन मस्क का काम एक ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाना है, जो चीन या रूस समेत किसी भी दुश्मन की तरफ से आने खतरों से अमेरिका को बचाए। कार्यकारी आदेश पर साइन करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने मिसाइल हमलों को अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है।
अमेरिका का गोल्डन डोम प्रोग्राम कैसा होगा?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी ने ‘गोल्डन डोम’ बनाने का कॉन्ट्रैक्ट जीत लिया है। उनकी रॉकेट और सैटेलाइट कंपनी डिफेंस सिस्टम के लिए प्रमुख भागों का निर्माण करने के लिए सॉफ्टवेयर निर्माता पलांटिर और ड्रोन निर्माता एंडुरिल के साथ साझेदारी कर रही है। तीनों कंपनियों की स्थापना उन उद्यमियों ने की थी, जो डोनाल्ड ट्रंप की राजनीति का प्रमुख समर्थक रहे हैं। गोल्डन डोम, दुनिया में अभी तक बनाई गई किसी भी टेक्नोलॉजी से अलग और एडवांस होगा। इसकी रेंज की अभी तक कोई मिसाइल नहीं बनी है।
1000 से ज्यादा सैटेलाइट्स करेंगे निगरानी
इस प्रोजेक्ट के तहत एलन मस्क की कंपनी 1000 से ज्यादा सैटेलाइट्स का निर्माण करेगी, जिसका काम दुनिया का चक्कर काटते हुए इस बात का पता लगाना होगा कि क्या कोई भी खतरा अमेरिका की तरफ बढ़ रहा है। इसके अलावा मिसाइलों और लेजर से लैस 200 सैटेलाइट अलग से होंगे, जिनका काम दुश्मनों की मिसाइलों को मार गिराना होगा।
कस्टडी लेयर : रिपोर्ट के मुताबिक स्पेसएक्स गोल्डन डोम के कस्टडी लेयर नाम के हिस्से को तैयार करने की कोशिश कर रहा है। यह सैटेलाइट्स के एक समूह के रूप में काम करेगा जो मिसाइलों का पता लगाएगा, उनके प्रक्षेप पथ को ट्रैक करेगा और यह निर्धारित करेगा, कि क्या वो अमेरिका की तरफ बढ़ रहे हैं या नहीं।
कैसे काम करेगा गोल्डन डोम?
गोल्डन डोम डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स (लेजर्स) शामिल होंगे, जो प्रकाश की रफ्तार से मिसाइलों और ड्रोन को निशाना बनाएंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेंसर नेटवर्क होगा, जो 360-डिग्री थ्रेट डिटेक्शन देगा। गोल्डन डोम में मल्टी-लेयर इंटरसेप्टर्स होंगे जो शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग रेंज वाली मिसाइलों को मार गिराएंगे।
स्पेस-बेस्ड अलर्ट सिस्टम होगा, जो अमेरिका की तरफ बढ़ते किसी भी खतरे के बारे में आगाह करेगा। गोल्डन डोम को पहले व्हाइट हाउस पेंटागन और क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा के लिए तैनात किया जाएगा। अमेरिका इसके एडवांस वर्जन को नाटो एलायंस, इजरायल, जापान और बहुत संभव है कि भारत के साथ भी शेयर कर सकता है।
– अरबों डॉलर में मस्क की कंपनी करेगी निर्माण
– छू भी नहीं पाएंगी दुश्मन की मिसाइलें
– इसके एडवांस वर्जन को भारत के साथ भी शेयर कर सकते हैं ट्रंप

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