केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा लिखित “एक सफर हमसफर के साथ” लेखक के जीवन और उनकी अर्धांगिनी पानादेवी के साथ बिताए गए पचास से अधिक वर्षों की गाथा है। यह समर्पित पति की ओर से अपनी प्रेरणादायी, स्नेहमयी तथा सौम्य पत्नी के लिए दिया गया अनुपम उपहार है। यह उन परंपरागत उत्सवों से भिन्न है जहां केवल केक काटने या रंग-बिरंगे फीतों और गुब्बारों से सजावट कर संतोष पा लिया जाता है। इस पुस्तक में दाम्पत्य जीवन के सुखमय रहस्यों का उल्लेख है, जो दोनों के साझा अनुभवों पर आधारित है।
पुस्तक की एक स्थायी छवि वह है जब 1993 में दंपत्ति अपने मित्र की स्वर्ण जयंती विवाह वर्षगांठ समारोह में सम्मिलित होने स्कूटर पर पहुंचे थे। संयोग से उस वर्ष उनकी अपनी रजत जयंती भी थी और इसी समय इस पुस्तक को लिखने का संकल्प आकार ले रहा था। रोचक तथ्य यह है कि वर्ष 2025 में उनकी विवाह वर्षगांठ भी 12 मई को ही पड़ी, जब हिंदू पंचांग (शुभ बुध पूर्णिमा) और ग्रेगोरियन कैलेंडर की तिथियां एक साथ पड़ीं।
आरंभ और यात्रा
यह यात्रा पारंपरिक भारतीय वर-खोज की प्रक्रिया से प्रारंभ होकर वैवाहिक अनुष्ठानों में परिणत होती है। यह कहानी है समायोजन और आपसी सहयोग की, जिसने सुखी वैवाहिक जीवन की सुदृढ़ नींव रखी। इसमें पारिवारिक जीवन की ऊंच-नीच का यथार्थ चित्रण है और यह भी बताया गया है कि उनसे कैसे विवेकपूर्ण ढंग से निपटा जा सकता है।
लेखक की पत्नी पानादेवी हर मोड़ पर रचनात्मक समाधान लेकर सामने आईं ं, जिसने हमेशा सकारात्मक परिणाम दिए। उन्होंने धैर्य, मानसिक शक्ति, दृढ़ निश्चय और सहनशीलता का परिचय दिया। हास्य भी अनेक बार तनावपूर्ण परिस्थितियों को सहज बनाने में कारगर सिद्ध हुआ। उन्होंने गृहस्थ जीवन के समस्त दायित्व—अतिथि-सत्कार और पारिवारिक देखभाल तक—उत्साहपूर्वक निभाए। उनके सद ्गुण, आत्मविश्वास और मानवीयता का पुस्तक में अनेक उदाहरणों सहित उल्लेख है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा में हस्तकला कौशल भी सम्मिलित है, जिसने उन्हें सबका प्रशंसा-पात्र बनाया। साथ ही, भावना मेमोरियल ट्रस्ट का संचालन कर उन्होंने अपने प्रशासनिक कौशल का भी परिचय दिया।
– पुस्तक में पारिवारिक जीवन की ऊंच-नीच का यथार्थ चित्रण
– पत्नी के सकारात्मक सुझावों ने बदली मेघवाल की जिंदगी
प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन
पुस्तक में लेखक के नौकरशाही जीवन की दास्तान भी है, जिसमें एक टेलीफोन ऑपरेटर से आरंभ होकर आईएएस अधिकारी बनने तक की यात्रा शामिल है। इस समूचे सफर में पत्नी का प्रोत्साहन और सहयोग अपरिहार्य रहा। राजनीति में पानादेवी का सादगीपूर्ण व्यक्तित्व और उच्च पदाधिकारी की पत्नी होने के बावजूद उनका सहज और विनम्र आचरण उन्हें लेखक के निर्वाचन क्षेत्र की जनता के लिए प्रिय बना गया। यही कारण था कि इसने उनके राजनीतिक जीवन को भी सुदृढ़ किया और उन्हें लगातार चार बार लोकसभा सांसद चुने जाने का गौरव मिला।
पुस्तक का समापन एक यात्रा-वृत्तांत से होता है, जिसमें दंपत्ति द्वारा एक साथ बिताए गए रोमांचक और अविस्मरणीय क्षणों का वर्णन है।
इस स्वर्णिम श्रद्धांजलि का सार उसकी भूमिका में सुंदरता से व्यक्त हुआ है
“हम एक-दूसरे के लिए बने हैं। मेरा हृदय तुम्हारे हृदय से मेल खाए। मेरा मन तुम्हारे हृदय से मेल खाए। मेरी वाणी तुम्हारे हृदय से मेल खाए और हमारी बुद्धि सदैव एकाकार बनी रहे।”
– लेखक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एवं राज्यसभा के पूर्व महासचिव हैं