ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। 7 से 10 मई के बीच चले ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने पाकिस्तान को कई मोर्चों पर करारा जवाब दिया। सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी को राजनीतिक नेतृत्व से पूरी तरह ‘फ्री हैंड’ मिला था, जिसके बल पर तीनों सेनाओं ने समन्वित और निर्णायक कार्रवाई की। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाप्रमुखों के अंदाज तो अलग-अलग थे, लेकिन एक ही लक्ष्य था।
एयर चीफ मार्शल सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह एक बेबाक टेस्ट फाइटर पायलट हैं जो जोखिम लेने से नहीं कतराते । आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी सैनिकों के बीच सबसे सहज, लेकिन जरूरत पड़ने पर बेहद सख्ती से पेश आते हैं। वहीं, एडमिरल त्रिपाठी 10 मई की सुबह कराची पोर्ट पर हमला करने के लिए तैयार थे, लेकिन पाकिस्तानी डीजीएमओ की शांति अपील के बाद वह रुक गए।
10 मई को राष्ट्रीय सुरक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजीत डोभाल और सीडीएस जनरल अनिल चौहान मौजूद थे। इस बैठक में तीनों सेनाओं के चीफ भी शामिल हुए थे। कराची पर नौसेना के हमले के रुकने पर पीएम मोदी ने एडमिरल त्रिपाठी से मुस्कराते हुए कहा, हमने आपके मुंह से निवाला छीन लिया, आपको मौका फिर मिलेगा। पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर पाकिस्तान कराची हमले के जवाब में गुजरात पर मिसाइल दागता तो भी वे तैयार थे।
ऑपरेशन में वायुसेना का करारा जवाब
भारतीय वायुसेना चीफ ने बेंगलुरु में बताया कि 7-10 मई के बीच पाकिस्तान के 5 लड़ाकू विमान, एक बड़ा एईडब्ल्यू एंड सी या एलिंट विमान को मार गिराया। 10 मई को रावलपिंडी के चकला एयरबेस पर सी-130 हरक्यूलिस वीवीआईपी ट्रांसपोर्ट विमान वाला हैंगर तबाह हुआ, जैकबाबाद में जमीन पर खड़े 2 एफ-16 नष्ट हुए और नूर खान एयरबेस पर हमले के बाद पाकिस्तानी उत्तरी वायु कमान अंधी हो गई। 315 किमी दूर से एस-400 मिसाइल से एक एईडब्ल्यू एंड सी विमान को मार गिराया गया, जो आधुनिक युद्ध में अत्यंत दुर्लभ है। भारतीय सेना की एम777 एक्सकैलिबर तोपों और युद्धक लूटेरिंग एम्युनिशन से पाकिस्तानी सैनिक एलओसी पर पोस्ट छोड़कर भाग गए। भारतीय नौसेना के भय से पाकिस्तानी जहाज और पनडुब्बियां समुद्र में निकलने के बजाय ग्वादर बंदरगाह की ओर सिमट गईं।































