ब्लिट्ज ब्यूरो
टोक्यो। अमेरिका से टैरिफ पर जारी टकराव के बीच भारत और जापान में अब तक का सबसे बड़ा समझौता हुआ। इसके तहत अगले दस वर्षों के दौरान जापान भारत में करीब 60 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिनों की जापान यात्रा की।
शिखर वार्ता के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया। इस समझौते को ‘अगली पीढ़ी की सुरक्षा और समृद्धि का रोडमैप’ नाम दिया गया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शिखर सम्मेलन के बाद बताया कि जापान ने कुछ समय पहले भारत में निवेश का लक्ष्य पांच ट्रिलियन येन रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 10 लाख ट्रिलियन येन कर दिया है।
भारत और जापान के बीच कुल 13 करार हुए। दोनों देश रक्षा, आपूर्ति श्रृंखला मजबूत बनाने, निवेश, एआई, अंतरिक्ष, हाई स्पीड रेल, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा, फार्मा, खनिज, टेलीकॉम और तकनीक क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने जापान के साथ अपनी विशेष सामरिक तथा वैश्विक भागीदारी के नए अध्याय की नींव रखते हुए अगले दशक के लिए एक रोडमैप बनाया है। इसी के तहत जापान भारत में बड़ा निवेश करेगा।
कामगारों की अदला-बदली
समझौते के अनुसार, अगले पांच वर्षों में ढाई लाख भारतीय कामगार जापान जाएंगे और इतने ही जापानी भारत आएंगे। डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी भागीदारी बढ़ाई जाएगी। हाइड्रोजन, अमोनिया से जुड़े प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी है। महत्वपूर्ण खनिजों की खोज, भंडारण के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे।
हमारी साझेदारी वैश्विक शांति, स्थिरता के लिए अहम : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि दोनों देशों के बीच हुए शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और जीवंत लोकतंत्रों के रूप में हमारी साझेदारी दोनों देशों के लिए ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।