ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की सिफारिशों के अनुसार भारत में फिनटेक उद्योग को विनियमित करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने यह बात कही।
वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (राजस्व विभाग) विवेक अग्रवाल ने इंदौर में यूरेशियन समूह की 41वीं पूर्ण बैठक के दौरान कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल है जो फिनटेक उद्योग को विनियमित करने के लिए एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम कर रहे हैं।
एफएटीएफ धन शोधन, आतंकवाद और प्रसार वित्तपोषण से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्व करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी भुगतान एग्रीगेटर्स और भुगतान गेटवे को विनियमित करने के लिए अलग से दिशानिर्देश जारी किए हैं।
अग्रवाल ने पांच दिवसीय ईएजी बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में भाग लिया। वे भारत में वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) के निदेशक भी हैं। उन्होंने कहा कि अब देश में वर्चुअल एसेट सेवा प्रदाताओं (वीएएसपी) के लिए एफआईयू के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा, डिजिटल भुगतान प्रणालियों के विकास के लिए वित्तीय प्रौद्योगिकी का विकास बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन विशेष रूप से धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण के खतरों को देखते हुए, इस प्रौद्योगिकी के विकास की अपनी चुनौतियां हैं क्योंकि प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग से अपराधी गुमनाम रूप से साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी कर सकते हैं।
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि भारत का फिनटेक उद्योग वर्तमान में विश्व में अग्रणी है। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि विनियमन इस तरह से किया जाए कि इससे उद्योग के विकास में बाधा न आए, कारोबार करने में आसानी हो और देश डिजिटल प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र बना रहे।
मीडिया को जानकारी देने से पहले अग्रवाल ने ईएजी और एशिया/पैसिफिक ग्रुप की ओर से मनीलॉन्डि्रंग (एपीजी) पर आयोजित कार्यशाला में भाग लिया। ‘इनोवेशन फाइनेंस’ पर कार्यशाला में ईएजी के चेयरमैन यूरी चिखानचिन और एपीजी के सह-अध्यक्ष मित्सुतोशी काजीकावा भी शामिल हुए।
अधिकारियों के अनुसार, ईएजी बैठक में लगभग 200 विदेशी और 60 भारतीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक 29 नवंबर तक तय थी। उन्होंने बताया कि इनमें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और एशियाई विकास बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।