ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए अब विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम कर रहा है। इसी कड़ी में भारतीय वायुसेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच 97 तेजस एमके1ए लड़ाकू विमानों का एक बड़ा सौदा अंतिम चरण में है। इस सौदे की कीमत करीब 60,000 करोड़ रुपये है और उम्मीद है कि यह साल 2025 के अंत तक पूरा हो जाएगा। वहीं, इन सभी विमानों में डीआरडीओ द्वारा विकसित एक देसी टेक्नोलॉजी ने कमाल कर दिया है जिसके बाद इस डील का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है।
‘उत्तम’ एईएसए रडार का कमाल
एईएसए का मतलब है एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे। यह एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक है जो पारंपरिक रडार की तुलना में कहीं ज्यादा प्रभावी होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तम रडार 150 किलोमीटर से अधिक की दूरी से दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और अन्य लक्ष्यों का पता लगा सकता है और उन्हें ट्रैक कर सकता है।
इतना ही नहीं, यह एक ही समय में हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्र में लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम है। ऐसे में, यह देसी टेक्नोलॉजी तेजस एमके1ए को एक घातक मल्टीरोल लड़ाकू विमान बना देती है। बता दें, इस रडार को भारत में ही डिजाइन और विकसित किया गया है।
तेजस एमके1ए में
क्या-क्या है खास?
तेजस एमके1ए, एमके1 का एक एडवांस वर्जन है, जिसमें कई सुधार किए गए हैं। यह एक 4.5 जनरेशन का हल्का लड़ाकू विमान है, जिसमें 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, इसमें इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर) मिसाइल दागने की क्षमता जैसी एडवांस फीचर्स हैं।
इस बड़े ऑर्डर को समय पर पूरा करने के लिए एचएएल और वायुसेना उत्तम रडार के उत्पादन के लिए प्लान कर रहे हैं, ताकि 97 लड़ाकू विमानों के उत्पादन में देरी न हो जिससे जल्द ही भारतीय वायुसेना को जरूरी लड़ाकू विमानों से लैस किया जा सके। वहीं इस नए ऑर्डर के साथ, भारतीय वायुसेना के पास तेजस एमके1ए की कुल संख्या 180 हो जाएगी, जो आने वाले समय में वायुसेना की युद्धक क्षमता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।