सिंधु झा
हाल ही में ईरान पर हमले में इज़रायल द्वारा आकाश से धरती पर दागने वाले बैलिस्टिक मिसाइलों (एएलबीएम) का उपयोग करने से आधुनिक युद्ध में एएलबीएम की क्षमता का पता चला है, जिसे सामरिक क्षेत्र में गेम चेंजर बताया जा रहा है। एएलबीएम में हवाई गतिशीलता और बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ के लाभ एक साथ होते हैं, जिससे उन्हें पहचानना, ट्रैक करना और रोकना मुश्किल हो जाता है। इज़रायल की सफलता ने एएलबीएम की रणनीतिक बढ़त को दर्शाया है, लिहाजा भारत अपनी हवाई मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए इन प्रणालियों में अपने निवेश में तेज़ी लाने पर विचार कर रहा है। हालांकि भारत ने इजरायल से रैम्पेज मिसाइलें खरीदकर और अपनी स्वदेशी रुद्रम श्रृंखला विकसित करके महत्वपूर्ण प्रगति की है।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इजराइल के मामले में, एएलबीएम ने देश को महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर तेज़ी और सटीकता से हमला करने में सक्षम बनाया, जबकि ऐसी मिसाइलों को रोकने में कठिनाई के कारण जवाबी कार्रवाई के जोखिम को कम किया। भारत के लिए ये विशेषताएं खासकर पाकिस्तान और चीन दोनों से संभावित खतरों के मद्देनजर उसके सुरक्षा वातावरण की जटिलता को देखते हुए महत्वपूर्ण हैं।
भारत ने पहले ही हवा से प्रक्षेपित होने वाले सटीक हथियारों के क्षेत्र में प्रगति की है। उल्लेखनीय रूप से इजराइल के सहयोग से विकसित सुपरसोनिक एयर-लॉन्च मिसाइल, रैम्पेज मिसाइल ने भारत को बंकरों और कमांड सेंटर जैसे कठोर लक्ष्यों के खिलाफ उच्च-सटीक हमलों के लिए एक मंच प्रदान किया है। रुद्रम -एक और दो को एंटी-शिप और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के रूप में डिज़ाइन किया गया है, ये वैरिएंट गति, रेंज और सटीकता का ऐसा मिश्रण लाते हैं जो एएलबीएम के करीब है। रुद्रम-तीन, विशेष रूप से, एक हाइपरसोनिक मिसाइल है जिसे रणनीतिक निरोध के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रुद्रम-चार जो वर्तमान में विकास के चरण में है, इस संस्करण से वास्तविक वायु-प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल होने की उम्मीद है, जो विस्तारित सीमा और भारी किलेबंद लक्ष्यों पर कहर बरपाने के लिए अनुकूल माना जा रहा है।
एएलबीएम के साथ, भारतीय सेना बड़ी, कम लचीली मिसाइल प्रणालियों का उपयोग किए बिना दूर, अच्छी तरह से किलेबंद क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर हमले कर सकती है। एएलबीएम को लड़ाकू जेट या बमवर्षक विमानों पर लोड किया जा सकता है। यह एक शक्तिशाली गैर-परमाणु निवारक के रूप में काम कर सकते हैं, जो पारंपरिक मिसाइलों और परमाणु-युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों के बीच की खाई को पाटते हैं। लंबी दूरी की एएलबीएम विकसित करके, भारत परमाणु हमले का सहारा लिए बिना उच्च-मूल्य वाली दुश्मन संपत्तियों को खतरे में डाल सकता है। यह क्षमता विशेष रूप से सीमा संघर्षों में उपयोगी है जहां उच्च-मूल्य वाली सामरिक हमले आवश्यक हैं लेकिन परमाणु प्रतिक्रिया को उचित नहीं ठहराते हैं।