ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हाल के कुछ हफ्तों के दौरान भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में खटास बहुत तेजी से बढ़ी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों और रवैये ने जहां भारतीय जनभावनाओं को अमेरिका के खिलाफ कर दिया है, वहीं इन बयानों की वजह से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति देश में समर्थन को और मजबूत किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जिस दृढ़ता के साथ किसानों, पशु व मछली पालकों के हितों के लिए ट्रंप के इरादों को धूल चटाई और कहा कि वह इसके लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं; उससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभरी है। भारत ने दिखा दिया है कि वह उन देशों की सूची में शामिल नहीं है जो अपने हितों के साथ समझौता कर के धमकियों के आगे झुक जाते हैं। अमेरिका के रवैये के प्रति पीएम मोदी के सख्त रुख के समर्थन में देश के किसान संगठनों ने भी सरकार से कहा है कि अमेरिका को अत्यधिक रियायतें न दी जाएं।
भारत पर राष्ट्रपति ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के रवैये का अमेरिका में भी विरोध हो रहा है। कहा जा रहा है कि पिछले 25 वर्षों में भारत के साथ जो रणनीतिक और व्यापारिक संबंध प्रगाढ़ हुए थे, उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप ने 25 मिनटों में नष्ट कर दिया। ट्रंप के रवैये के खिलाफ भारत को रूस और चीन का भी समर्थन मिला है जो अमेरिका के धुर विरोधी कहे जाते हैं जबकि रूस से तेल खरीद में सबसे बड़ा राष्ट्र होने के बाद भी अमेरिका ने उस पर उतना टैरिफ नहीं लगाया है जितना कि भारत पर। भारत को रूस और चीन का समर्थन मिलने की वजह से अमेरिकी विशेषज्ञों को यह डर भी सताने लगा है कि ट्रंप का भारत विरोधी रवैया कहीं भारत, रूस और चीन का एक नया गठबंधन खड़ा न कर दे। अगर ऐसा हो गया तो अमेरिका का प्रभाव घटेगा एवं उसके लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी। अमेरिका सदा से ही यही चाहता रहा है कि चीन के साथ अमेरिकी संघर्ष में भारत उसका साथ दे।
ताजा घटनाक्रमों पर नजर दौड़ाएं तो टैरिफ लगाए जाने के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल रूस गए थे और इसके बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यह घोषणा सामने आई कि वह इस साल के अंत में भारत आएंगे। इसके अतिरिक्त रूसी राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी की फोन पर वार्ता भी हुई। राष्ट्रपति पुतिन ने मोदी को यूक्रेन के साथ अपने देश के जारी संघर्ष के बारे में जानकारी दी और प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत के दृढ़ रुख को दोहराया। मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ बहुत अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई। मैंने यूक्रेन पर नवीनतम घटनाक्रम से अवगत कराने के लिए उनका धन्यवाद किया। इसके अलावा चीन के विदेश मंत्री वांग वाई अगले हफ्ते एनएसए अजित डोभाल से मुलाकात करने के लिए भारत आ रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन और भारत के बीच नरमी देखने को मिल रही है। माना जा रहा है कि दोनों के बीच कई अहम मसलों पर चर्चा हो सकती है।
वां ग और डोभाल, दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं जो सीमा विवाद से संबंधित वार्ता का नेतृत्व करते हैं। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन ने हाल के महीनों में अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले साल, भारत और चीन लद्दाख में गतिरोध के आंशिक समाधान के लिए एक समझौते पर पहुंचे थे। इस साल की शुरुआत में, चीन ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू कर दी और भारत ने चीनी पर्यटकों को वीजा देना फिर से शुरू कर दिया।
पीएम मोदी जाएंगे चीन
इस महीने के अंत में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन का दौरा करेंगे। वह शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) सम्मेलन के लिए चीन जाएंगे। वह यहां पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी करने वाले हैं। 2024 में प्रधानमंत्री मोदी ने कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी जिसे पर्यवेक्षकों ने संबंधों को स्थिर करने की दिशा में एक कदम माना था।
फ्लाइट सर्विस भी होगी बहाल
दोनों पक्षों की तरफ से अगले महीने में डायरेक्ट फ्लाइट फिर से शुरू होने वाली है। दोनों देशों के बीच 2020 से ही फ्लाइट सर्विस बंद है।
इस बीच डोनाल्ड ट्रंप के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव को प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने किसानों के समर्थन को मजबूत करने के लिए सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। यह सब बिहार के अहम विधानसभा चुनाव से पहले हो रहा है जहां आधी से ज्यादा आबादी खेती और इससे जुड़े कार्यों पर निर्भर है।
कैबिनेट में पीएम मोदी के शीर्ष सहयोगियों ने संकेत दिया है कि भारत अमेरिकी दबाव में कृषि और डेयरी बाजार को खोलने के लिए तैयार नहीं है। प्रमुख किसान संगठनों ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर सरकार को समर्थन का भरोसा भी दिलाया।
भारत किसी विदेशी ताकत के आगे न झुके
ग्लोबलडेटा टीएस लोम्बार्ड की मुख्य अर्थशास्त्री शुमिता देवेश्वर के मुताबिक, भारत का लहजा बदला है। अमेरिका की ओर से कृषि क्षेत्र में दखल किसानों को नागवार गुजरेगा। भारत किसी विदेशी ताकत के आगे झुकता न दिखे, यह जरूरी है।
बढ़ी मोदी की लोकप्रियता
बिहार चुनाव में भाजपा अपने सहयोगियों पर निर्भर है। किसानों का वोट यहां निर्णायक भूमिका निभा सकता है। सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, 1 अगस्त को मोदी से ‘बेहद संतुष्ट’ लोगों का आंकड़ा 46% था जो कि 15 अप्रैल के 45.8% के करीब है।
एक रिपोर्ट में सी-वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख का कहना है कि ट्रंप-भारत विवाद से मोदी को ही फायदा होगा और विपक्ष के लिए माहौल में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिख रहा।
राष्ट्रीय प्राथमिकताएं सर्वोपरि
2021 में किसानों के सालभर लंबे आंदोलन ने मोदी सरकार को तीन विवादित कृषि कानून वापस लेने पर मजबूर किया था। अब मोदी अमेरिकी कंपनियों को कृषि और डेयरी क्षेत्र में प्रवेश न देने के फैसले से ग्रामीण वोटबैंक मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ यूथ प्रोग्रेसिव फार्मर्स एसोसिएशन के वीरेंद्र लोहन ने कहा, आपने दिखा दिया कि भारतीय किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि इस राष्ट्र की आत्मा है। इसे कोई विदेशी ताकत नियंत्रित नहीं कर सकती।
भाजपा प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा, राष्ट्रीय प्राथमिकताएं सर्वोपरि हैं और किसानों व कृषि के साथ किसी भी तरह का जोखिम स्वीकार्य नहीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत को दंडित करने की कोशिश उसकी बढ़ती वैश्विक हैसियत से असहजता का परिणाम है।
टैरिफ विवाद के बीच अमेरिका जाएंगे मोदी, ट्रंप से वार्ता संभव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही अमेरिका की यात्रा पर जा सकते हैं। वह न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा(यूएनजीए) में भाग लेंगे। इस दौरान उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की संभावना है। दोनों नेताओं के बीच व्यापार मुद्दों पर बातचीत हो सकती है। टैरिफ को लेकर सहमति बनाने पर जोर रहेगा। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। हालांकि, अभी तक इस बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं है।
नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की आखिरी मुलाकात फरवरी, 2025 में हुई थी जब भारतीय प्रधानमंत्री अमेरिका गए थे। रिपोर्टों के अनुसार, पीएम मोदी की यात्रा की तैयारियां चल रही हैं। अगस्त के अंत तक इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।
क्यों महत्वपूर्ण है पीएम की यात्रा
मोदी की संभावित अमेरिका यात्रा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब हाल के महीनों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध प्रभावित हुए हैं। जब ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने का दावा किया था।
हा लांकि नई दिल्ली ने इस दावे का खंडन किया है। अमेरिका ने पिछले महीने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत पारस्परिक टैरिफ लगाया। साथ ही रूसी तेल के आयात पर 25 फीसदी अतिरिक्त जुर्माना टैरिफ लगाकर इसे 50 प्रतिशत कर दिया। सरकार ने कहा है कि टैरिफ के मुद्दे पर दोनों मोर्चों पर बातचीत चल रही है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 80वां सत्र 9 से 23 सितंबर तक न्यूयॉर्क शहर में आयोजित होगा। उच्चस्तरीय आम बहस 23 से 27 सितंबर तक आयोजित की जाएगी। इसका समापन 29 सितंबर को होगा। यह वार्षिक बैठक वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और समाधानों पर सहयोग करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों के नेताओं को एक साथ लाती है।
भारत-रूस-चीन के संभावित गठजोड़ से भयभीत
यूएस टैरिफ के खिलाफ जंग में किसान भी मोदी के साथ





























