सिंधु झा
आपरेशन सिंदूर का ट्रेलर दिखाने के बाद भारत दुश्मन देशों के हवाई हमले खासकर ड्रोन हमले को पंगु बनाने के लिए एक अदृश्य शील्ड यानी ढाल का निर्माण कर रहा है। सेना ने हमलों को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए ग्राउंड-आधारित इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) प्रणालियों का एक विद्युत चुम्बकीय वेब बुना है। ये स्वदेशी प्लेटफॉर्म, दोनों पूरबी और पश्चिमी मोर्चे पर सिर्फ रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक तथा विघटनकारी माने जा रहे हैं। यह ढाल अपने स्वयं के क्षेत्र में नकली उपग्रह संकेतों का प्रसारण करके दुश्मन को अपने जाल में फंसाएगी।
जानकारों के अनुसार यह धोखे का एक उच्च-दांव वाला खेल है, जो आक्रमणकारियों की जीपीएस सिस्टम को उन्हीं के खिलाफ करता है। मालूम हो कि मई संघर्ष ने इस प्लेबुक को उजागर किया जिसमें 300 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन भारतीय हवाई क्षेत्र में घुस आये थे। एयरबेस और बारूद डिपो को निशाना बनाया, लेकिन नागरिक सीमाओं की ओर फैल गया। संघर्ष विराम के बाद भी घुसपैठ जारी है। नवंबर 2023 से फरवरी 2025 तक पंजाब और जम्मू में 465 जीपीएस हस्तक्षेप की घटनाएं हुई बताया जाता है कि कई में पाकिस्तानी ईडब्ल्यू परीक्षण का पता लगाया।
भारत दुश्मन की अगली ड्रोन लहर का इंतजार नहीं कर रहा। ग्राउंड-आधारित ईडब्ल्यू सिस्टम, सेना के कोर ऑफ सिग्नल्स एंड एयर फोर्स की एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) में एकीकृत, एक मूक बल्क का निर्माण करते हैं।
भारत का ईडब्ल्यू शस्त्रागार डीआरडीओ-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) की कामयाबी है, जो गतिशीलता और स्पेक्ट्रम प्रभुत्व पर जोर देती है। कोर में दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत ग्राउंड-आधारित ईडब्ल्यू प्रणाली है, खुफिया संचार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस, और ईसीएम (इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर) के लिए 145 वाहनों में फैली हुई है।































