ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती की तरफ बढ़ रही है और इसका सबसे बड़ा सबूत है अगस्त महीने में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में आई ऐतिहासिक तेजी। ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 59.3 तक पहुंच गया, जो करीब 18 साल का सबसे ऊंचा स्तर है। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि भारत का उत्पादन क्षेत्र न केवल बाहरी दबावों को झेल रहा है, बल्कि पहले से कहीं ज़्यादा ताकतवर बनकर उभर रहा है।
अमेरिका ने भारतीय सामान पर अधिक टैरिफ लगाया है, लेकिन इसके बावजूद भारत की घरेलू मांग इतनी मजबूत है कि मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को इसका बड़ा असर महसूस नहीं हुआ। कंपनियों को देश के अंदर से बड़ी मात्रा में ऑर्डर मिल रहे हैं, जिसकी वजह से उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। यह घरेलू मजबूती हमारे उद्योगों को वैश्विक चुनौतियों से बचा रही है और आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम को और मजबूत बना रही है। यह आंकड़ा अमेरिकी सरकार और उसके उन सलाहकारों के मुंह पर तमाचा है, जो भारत को डेड इकॉनमी (मरी हुई अर्थव्यवस्था) बता रहे थे।
कंपनियों की सेल नए लेवल पर
अगस्त में नए ऑर्डर पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ते नजर आए। विज्ञापन और मार्केटिंग की सफलता ने भी कंपनियों की सेल को ऊंचाई दी। दिलचस्प बात यह है कि कंपनियां अपने उत्पादों की कीमत तय करने में भी मजबूत स्थिति में रहीं। लागत में भारी बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन बिक्री की कीमत बढ़ने से मुनाफ़ा कंपनियों के पक्ष में रहा।
रोजगार को लेकर थोड़ी चिंता जरूर बनी रही, क्योंकि नई नौकरियों की रफ्तार धीमी रही लेकिन इसी बीच प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर 3.5 करोड़ नौकरियां बनाने की नई योजना का एलान किया, जो युवाओं के लिए बड़ा अवसर साबित होगा। इस योजना के तहत नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों को मदद मिलेगी ताकि रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ सकें।
सशक्त है भारत का घरेलू बाजार
पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े भी यही कहानी बयां करते हैं। इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन 7.7% बढ़ा, जो पिछले साल की समान अवधि से बेहतर है। इसका मतलब है कि भारत की आर्थिक नींव मजबूत है और भविष्य और भी उज्ज्वल दिख रहा है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का घरेलू बाजार इतना सशक्त है कि वह दुनिया की आर्थिक अनिश्चितताओं को झेलने में सक्षम है। निर्यात के साथ-साथ घरेलू मांग भी लगातार बढ़ रही है। यह संतुलन भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रख रहा है और यह साबित कर रहा है कि भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बन चुका है।